उत्तराखंड

uttarakhand

सिर्फ बांस से ही क्यों बनती है कांवड़, जानिए इसके पीछे का रहस्य...

By

Published : Jul 24, 2019, 9:37 AM IST

Updated : Jul 24, 2019, 12:34 PM IST

सावन का महीना शुरू होते ही प्रदेश में कांवड़ियों की भीड़ उमड़ पड़ी है. कांवड़िए गंगा जल लेने के लिए कांवड़ लेकर आते हैं. इस कांवड़ यात्रा में बांस से कांवड़ बनाई जाती है. इस बांस का पुराणों में काफी महत्व बताया गया है.

कांवड़ यात्रा में बांस का महत्व.

हरिद्वार: प्रदेश में कांवड़ यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. इसी के चलते करोड़ों की तादाद में शिवभक्त हरिद्वार में गंगा जल भर कर भगवान शिव को अर्पण करने के लिए अपने गंतव्य की ओर रवाना होते हैं. इस यात्रा में कांवड़िए बांस की कांवड़ लेकर जल लेने के लिए आते हैं, आखिर इस यात्रा में बांस की कांवड़ का क्या महत्व है और बांस से ही कांवड़ क्यों बनाई जाती है, देखिए ये रिपोर्ट...

कांवड़ यात्रा में बांस का महत्व.

कांवड़ बनाने के लिए बांस का इस्तेमाल किए जाने पर प्रख्यात ज्योतिषाचार्य प्रतिक मिश्रपुरी ने बताया कि पुराणों के अनुसार, सर्वप्रथम परशुराम भगवान ने बांस की कांवड़ बनाकर उसमें हरिद्वार से गंगाजल भरकर पुरा महादेव में चढ़ाया था. परशुराम ने बांस के खपच्चों से कांवड़ बनाई थी. बांस की कांवड़ बनाने का मुख्य उद्देश्य है कि बांस का एक बार प्रयोग करने के बाद उसका दोबारा प्रयोग नहीं किया जाता है. साथ ही जब इंसान की मृत्यु के बाद कपाल क्रिया की जाती है तो वो भी बांस की लकड़ी से ही किया जाता है.

ये भी पढ़ें:जल्द खुलेगी चीन बॉर्डर की सड़कें, त्रिवेंद्र सरकार का सीमाओं के विकास पर फोकस

श्रीकृष्ण ने भगवान शिव को चढ़ाया था वंशलोचन
साथ ही ज्योतिषाचार्य प्रतिक मिश्रपुरी ने बताया कि बांस भगवान शिव को अति प्रिय है. बांस की कांवड़ में जल भरकर भगवान शिव को चढ़ाया जाता है. बांस के अंदर एक मोती होता है उसको वंशलोचन बोला जाता है और जब इसको भगवान शिव के ऊपर चढ़ाया जाता है. वंशलोचन भगवान श्री कृष्ण ने भी शिव पर चढ़ाया था, जिसके बाद उन्हें सुदर्शन चक्र की प्राप्ति हुई थी.

वहीं, पुराणों से अलग बांस की कांवड़ बनाने का एक अलग भी महत्व है. बांस की कांवड़ बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि बांस की कांवड़ बारिश में कम भीगती है और भीगने के बाद उसमें ज्यादा वजन भी नहीं होता है, जिससे कांवड़ियों को कांधे पर कांवड़ ले जाने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है. बांस की कांवड़ किसी और लकड़ी से काफी मजबूत भी होती है. इसमें काफी लचक होने के कारण गंगाजल लाने में परेशानी नहीं होती है.

Last Updated : Jul 24, 2019, 12:34 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details