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माता मनसा देवी के मंदिर में जरूर करें चरण पादुका के दर्शन, मन्नत जरूर पूरी होगी - Chaitra Navratri 2022

हरिद्वार में शिवालिक पर्वत माला की एक पहाड़ी पर स्थित मां मनसा मंदिर की महत्ता के बारे में तो सभी जानते हैं. आज हम आपको मनसा देवी मंदिर से जुड़ी चरण पादुका के बारे में जानकारी देंगे. कहा जाता है कि अगर आप मनसा देवी मंदिर गए और चरण पादुका के दर्शन नहीं किए, तो आपकी यात्रा अधूरी रह जाती है.

Haridwar
मनसा देवी

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Published : Apr 4, 2022, 5:03 AM IST

Updated : Apr 4, 2022, 2:01 PM IST

हरिद्वार:देश दुनिया में विख्यात पहाड़ों की चोटी पर स्थित मां मनसा देवी के प्राचीन मंदिर को देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में जाना जाता है. यही कारण है की हर साल यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं लेकिन इनमें से बहुत कम ही यह जानते हैं की मां की चरण पादुका के दर्शन किए बिना मां मनसा की यात्रा पूरी नहीं हो पाती. नवरात्र के दौरान मां के इससे विशेष स्थान पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगती है.

घने जंगलों के बीच शिवालिक पर्वत माला की एक पहाड़ी पर कई सौ साल पहले मां मनसा विराजमान हुई थीं. बताया जाता है की तब इस घने जंगलों से होकर मंदिर तक जाया जाता था. यही कारण था कि काफी कम लोग ही इस कठिन व दुर्गम यात्रा को कर पाते थे. समय बदलने के साथ इस मंदिर तक जाने के लिए करीब एक किलोमीटर का रास्ता बनाया गया. करीब 40 साल पहले लोगों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इस मंदिर जाने के लिए रोपवे स्थापित कर दिया गया.

मनसा देवी मंदिर की चरण पादुका से जुड़ा महत्व.

इसमें एक बड़ी बात यह थी की जितना महत्व मां मनसा के मंदिर का है. उतना ही महत्व उनकी चरण पादुकाओं का भी है. काफी कम लोग इन चरण पादुकाओं और उसके महत्व को जानते हैं. जानकार बताते हैं की कई सौ साल पहले लोग कठिन यात्रा कर मां मनसा में मंदिर तक जाते थे लेकिन बुजुर्ग लोग यात्रा कठिन होने के कारण मां मनसा के दर्शन नहीं कर पाते थे. इसी कठिनाई को देखते हुए श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने पूरे पूजा पाठ और विधिविधान के साथ मां की चरण पादुकाओं को पहाड़ी पर स्थित मंदिर से उतार गंगा किनारे स्थित अखाड़े के बाहर एक ऐसे मंदिर में स्थापित किया, जिस स्थान को कुंभ के दौरान विशेष महत्व दिया जाता है.

क्या है कथा:कहा जाता है की बिना मां की इन चरणपादुकाओं के दर्शन किए मां मनसा की यात्रा अधूरी रहती है. यदि श्रद्धालु को अपनी यात्रा पूर्ण करनी होती है तो उसे गंगा किनारे स्थित इस स्थान के भी दर्शन करने होते हैं.
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क्या कहते हैं मुख्य पुजारी:चरण पादुका मंदिर के मुख्य पुजारी अमृत गिरी का कहना है की पादुका मंदिर और वट वृक्ष यहां हजारों साल से है. हजारों साल पहले जब अखाड़े की स्थापना यहां हुई थी, तब से ही मंदिर बना हुआ है, जो श्रद्धालु ऊपर पर्वत पर मां मंसा देवी के मंदिर नहीं जा पाते हैं, वह चरण पादुका मंदिर में ही मां मंसा देवी के दर्शन कर लाभ प्राप्त कर सकेंगे लेकिन पर्वत पर स्थित मां मंसा देवी के मंदिर जाना भी जरूरी है. जो वहां के दर्शन करने के बाद यहां के दर्शन करेगा उसे दोगुना लाभ प्राप्त होगा.

प्राचीन काल से यह मान्यता है की लोगों पहले पादुका के दर्शन करते थे और फिर पहाड़ी पर स्थित मां के मंदिर में जाया करते थे, जो पहाड़ी पर नहीं जा सकते वे इसी स्थान पर पादुका के दर्शन कर पुण्य कमा सकते हैं. लेकिन एक बड़ी बात यह भी है की अगर आपने मंदिर के दर्शन करने के बाद पादुका के दर्शन नहीं लिए तो आपकी यात्रा अधूरी है.

कुंभ में है स्थान कि विशेष महत्ता:जिस स्थान पर चरण पादुका रखी गई हैं, वैसे तो उसका पूरे साल ही विशेष महत्व रहता है लेकिन कुंभ के दौरान इस स्थान का महत्व और भी बढ़ जाता है. जनवरी से अप्रैल माह के अंत तक श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े की धर्म ध्वजा को यहीं पर स्थापित कर रमता पांचों व अखाड़े के पदाधिकारियों का डेरा लगाया जाता है.

Last Updated : Apr 4, 2022, 2:01 PM IST

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