हरिद्वार:देश कीआजादी के 75 साल पूरे हो गए हैं. ऐसे में हर तरफ स्वतंत्रता दिवस (Independence Day 2022) की धूम है. देश इसे आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है. देश कोआजाद कराने को लेकर हजारों ने लोगों ने अपना बलिदान दिया. जिसमें हरिद्वार के छोटे से श्यामपुर गांव का भी अहम योगदान रहा है. अंग्रेजों से देश को आजाद कराने में इस छोटे से गांव ने 14 स्वतंत्रता सेनानी दिए हैं. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आज आपको उन सेनानी की वीरता और बलिदान से रूबरू कराते हैं. जिनकी निशानियां आज भी गांव में मौजूद हैं. वहीं, कटारपुर गांव के शहीद मुक्खा सिंह और उनके साथियों की शौर्य गाथाएं आज भी लोगों की जुबान पर है.
14 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का गांव श्यामपुरःबता दें कि देश की आजादी में अपनी भूमिका निभाने वाले 14 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का गांव गाजीवाला श्यामपुर (Village of freedom Fighters Ghaziwala Shyampur) का अहम योगदान रहा है. यहां पर ब्रिटिशकालीन एक जेल भी मौजूद है. जहां अंग्रेजों से लोहा लेने के दौरान गिरफ्तार स्वतंत्रता सेनानियों रखा जाता था. जो आज भी उनके संघर्ष और बलिदान की गवाही देता है, लेकिन इस ब्रिटिशकालीन थाना और जेल खंडहर में तब्दील हो गया है.
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असहनीय होते थे अंग्रेजों के जुर्मः श्यामपुर के ग्रामीण इस ऐतिहासिक जेल को स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की स्मृति में संरक्षित करने और इसकी मरम्मत कराने की मांग कर चुके हैं, लेकिन आज तक नेताओं व अफसरों ने इसकी सुध नहीं ली. न ही इस थाने और जेल को जीर्णोद्वार कराने के बारे में सोचा. गुलामी के दिनों को यादकर आज ग्रामीण सिहर हो उठते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि अंग्रेजों के जुर्म काफी असहनीय होते थे. उनकी माताएं उन्हें लेकर जंगलों में शरण ले लेती थीं. उन्हें गांव छोड़ना पड़ता था. यह थाना साल 1904 में बनाया गया था. यहां पर स्थित कोठरी में जाने माने सुलताना डाकू को कैद किया गया था.
मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा श्यामपुर गांवःवहीं, हरिद्वार जिले के बहादराबाद ब्लॉक का यह गांव मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है. गांव में स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क का बुरा हाल है. शासन और प्रशासन की उपेक्षा से सेनानियों के परिजन खासे नाराज हैं. स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों का कहना है कि गांव में सेनानियों का स्मृति द्वार तक नहीं है. वे कई बार स्मृति द्वार बनाने की मांग कर ठक चुके हैं, लेकिन उनकी बातों को कोई सुनने वाला ही नहीं है.