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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की सरकार को नसीहत, कहा- केदारनाथ में आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा पर रोज हो पूजा पाठ

ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि केदारनाथ धाम में आदिगुरु शंकराचार्य की उपेक्षा ठीक नहीं है. सरकार को पुजारी की जरूरत है तो हम व्यवस्था करने को तैयार है. उन्होंने कहा कि धाम में आदिगुरु शंकराचार्य की नियमित पूजा होनी चाहिए.

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Published : Apr 28, 2023, 10:54 AM IST

आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा पर रोज हो पूजा पाठ

हरिद्वार:शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि केदारनाथ में आदिगुरु शंकराचार्य की तपस्थली की स्थिति ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि आदिगुरु शंकराचार्य की उपेक्षा ठीक नहीं है. उसके बारे में भी सरकार को सोचना चाहिए. कहा कि आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा की नियमित पूजा होनी चाहिए.

अगर सरकार को जरूरत है तो वहां के लिए पुजारी हम देने को तैयार हैं, लेकिन प्रतिदिन नियमित रूप से आदि गुरु शंकराचार्य जी की पूजा-अर्चना होनी चाहिए और वहां पर सरकार को सफाई का ध्यान रखना चाहिए. इसी के साथ स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं से अपील की है कि यात्रा में तीर्थ यात्रा के रूप में आएं और पुण्य के भागी बनें. लेकिन मौज मस्ती और घूमने फिरने के मकसद से चारधाम यात्रा में आने का कोई भी औचित्य नहीं है.
पढ़ें-शंकराचार्य को केदारनाथ में दर्शन से रोके जाने पर संतों में नाराजगी, दे डाली आंदोलन की चेतावनी

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि सरकार द्वारा बनाई गई समिति में कुछ धार्मिक व्यक्तियों को भी जगह देनी चाहिए थी. धार्मिक व्यवस्थाओं को सरकारी लोग नहीं बल्कि धार्मिक लोग ही समझ सकते हैं. सरकारी लोगों की पढ़ाई अलग तरह से होती है. धार्मिक लोग वेद, पुराणों को पढ़ते हैं. इसलिए सरकार को चाहिए कि इस तरह की गलती दोबारा ना हो और धार्मिक व्यक्तियों को इस कमेटी में होना चाहिए.

गौर हो कि 25 अप्रैल को केदारनाथ के कपाट खोले जाने पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए दर्शन करने से रोका गया था. जिसको लेकर साधु संतों ने भारी नाराजगी जताई थी. इस मौके पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को मंदिर समिति के सीईओ ने यह कहते हुए रोका कि उनका प्रोटोकॉल नहीं है. जिसके बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद आदि शंकराचार्य के समाधि स्थल पर धरने पर बैठ गए थे.

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