हरिद्वार:गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए राज्य व केंद्र सरकार के स्तर पर बड़े पैमाने पर कार्य किया जा रहा है. नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत हरिद्वार में लगभग 145 एमएलडी क्षमता के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट सुचारू रूप से काम कर रहे हैं. खास बात यह है कि लॉकडाउन के समय में भी हरिद्वार के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं. सीवरेज से निकलने वाली जैविक गंदगी को वैज्ञानिक तरीके से शोधित करके प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के अनुसार गंगा में छोड़ा जा रहा है. जिससे गंगा में फीकल कॉलीफॉर्म की मात्रा में काफी गुणात्मक सुधार आया है और गंगा को प्रदूषण मुक्त होने में काफी मदद मिली है.
हरिद्वार स्थित जगजीतपुर में स्थापित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के परियोजना अधिकारी इंजीनियर आरके जैन का कहना है कि हरिद्वार में कुल 145 एमएलडी शोधन क्षमता के एसटीपी प्लांट काम कर रहे हैं, जो नमामि गंगे के अंतर्गत हैं. इनकी क्षमता आगामी 33 वर्षों को ध्यान में रखकर की गई है.
LOCKDOWN में भी जारी है सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पर काम राज्य सरकार व केंद्र सरकार द्वारा इन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के रख-रखाव के लिए पर्याप्त मात्रा में धनराशि भी आवंटित की जा रही है. जिससे इनके संचालन में किसी तरह की कोई रुकावट नहीं आ रही है. जगजीतपुर स्थित एसटीपी प्लांट के प्रोजेक्ट मैनेजर एएस डी कुलकर्णी के अनुसार, यहां पर पहले शहर की आने वाली सीवरेज की गंदगी की स्क्रीनिंग की जाती है. उसके बाद अलग-अलग चैंबर्स में उन्हें क्रमवार शोधित किया जाता है. जिसमें ऑक्सीजन की मात्रा भी मिलाई जाती है. ये स्वचालित प्लांट के माध्यम से किया जाता है और उसके बाद जितनी भी जैविक गंदगी होती है, वह चेंबर में रुके हुए पानी के नीचे ठहर जाती है. जिसके बाद विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा पानी को गंदगी से मुक्त करके शोधित पानी का इस्तेमाल खेती में प्रयोग लाया जाता है.
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इस परियोजना की खास बात ये है कि लॉकडाउन के समय में भी सभी प्लांट पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं. हरिद्वार के सभी नालों को टेप किया जा चुका है और फिलहाल शहर की गंदगी कहीं भी गंगा में नहीं बहायी जा रही है.