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उत्तराखंड में एक और घोटाला! चकबंदी विभाग में सात दिन में 7 करोड़ का 'खेला' - Seven crore consolidation scam has come to light in Rahmatpur village of Roorkee

रुड़की में सात करोड़ रुपए के चकबंदी घोटाला की खबरें सामने आ रहीं हैं. ड़की के रहमतपुर गांव में सात दिनों में 7 करोड़ रुपए के चकबंदी घोटाला सामने आईं हैं.

Scam in Uttarakhand
उत्तराखंड में एक और घोटाला!

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Published : Oct 23, 2021, 12:51 PM IST

रुड़की: उत्तराखंड के चकबंदी विभाग में एक बड़ा घोटाला सामने आया है. रुड़की के रहमतपुर गांव में एक दो नहीं बल्कि सात करोड़ के चकबंदी का घोटाला की खबर सामने आ रही है. समाजसेवी जगजीवन राम द्वारा मामले के उजागर के बाद विभाग और जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है.

समाजसेवी जगजीवन राम के मुताबिक रुड़की के रहमतपुर गांव के करीब दिल्ली से हरिद्वार के लिए बाईपास मार्ग बनना है. जिसको लेकर बड़े पैमाने पर ग्रामीणों की जमीनें एनएच को खरीदनी हैं. इसी कड़ी में चकबंदी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से ग्राम समाज की जमीन कुछ भू-माफिया के नाम मात्र 7 दिनों में ही चढ़ा दी गई.

उत्तराखंड में एक और घोटाला!

जगजीवन राम के मुताबिक, 9 अप्रैल 2021 को चकबंदी विभाग में फाइल जमा की गई और 16 अप्रैल 2021 को उस पर ऑर्डर भी कर दिए गए. इसके साथ ही 19 अप्रैल 2021 को दाखिल-खारिज भी कर दिया गया. जबकि दाखिल-खारिज के बाद चकबंदी कोर्ट में फाइल चलनी चाहिए थी. खास बात यह है कि इस मामले को एसओसी ने गलत माना है. लेकिन, संबंधित फाइलों में उनके भी हस्ताक्षर हैं.

पूरे मामले में समाजसेवी जगजीवन राम का कहना है कि उन्होंने चकबंदी विभाग और भू-माफिया की पोल खोलते हुए मुख्यमंत्री तक से मामले की शिकायत की है. जिसमें जिला बंदोबस्त अधिकारी (एसओसी) दीवान सिंह नेगी ने सात दिन में ही मामले के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है.

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उठ रहे सवाल: रुड़की में सात करोड़ रुपए के चकबंदी घोटाले के बाद बड़े सवाल उठ रहे हैं. क्योंकि चकबंदी विभाग के इन अधिकारियों पर साल 2019 में एक और घोटाले की एसआईटी जांच चल रही है. जो बीते दो सालों में भी पूरी नहीं हो सकी. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या 7 दिनों अधिकारी इस मामले की जांच कर दोषियों पर आरोप सिद्ध कर सकेंगे?

पूरे मामले में जिला बंदोबस्त अधिकारी दीवान सिंह नेगी ने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से साफ इनकार कर दिया है. दीवान सिंह नेगी का कहना है कि मामले की सात दिनों में जांच कर दोषियों पर कार्रवाई होगी. लेकिन, रुड़की के स्थानीय लोगों का कहना है कि जब खुद एसओसी ही दोषी हैं तो वह किस पर और कैसे कर्रवाई करेंगे.

क्या होती है चकबंदी?दरअसल, चकबंदी किसी भी गांव का ऐसा मास्टर प्लान है, जिसमें गांव के हर व्यक्ति की जरूरत का ख्याल रखा जाता है. लोगों की कृषि भूमि एक जगह पर हो, ताकि उसका प्रबंधन सही होने के साथ ही श्रमशक्ति जाया न हो. भूमिहीनों के लिए भूमि की व्यवस्था, पंचायत घर को जमीन का प्रबंध, स्कूल, सामुदायिक केंद्र आदि की व्यवस्था की जाती है, ताकि लोगों को गांव में ही सबकुछ उपलब्ध हो सके और उन्हें पलायन की जरूरत न पड़े.

इस वजह से खेत छोटे हो जाते हैं, जिससे किसानों को खेती करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. साथ ही समय के साथ सरकारी जमीन पर भी अतिक्रमण की शिकायतें बढ़ जाती हैं. इसकी वजह सरकार चकबंदी करवाती है. हर राज्यों के अलग-अलग चकबंदी अधिनियम होते हैं.

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