हरिद्वार: उत्तराखंड सरकार ने संतो की संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री को वाई श्रेणी की सुरक्षा देने का फैसला किया है. संतों को वीआईपी श्रेणी की सुरक्षा दिए जाने के सरकार के निर्णय पर कई सवाल भी उठ रहे हैं. वहीं, संत समाज सरकार की इस सौगात से काफी खुश हैं.
हरिद्वार में 2021 में होने वाले महाकुम्भ मेले के लिए के लिए जहां सरकार कई स्तरों पर तैयारियों में जुटी हुई है. वहीं, साधु संतों की नाराजगी को दूर करने के लिए भी हर संभव कोशिश कर रही है. पिछले दिनों हरिद्वार कुम्भ मेले कार्य की समीक्षा करने सीएम हरिद्वार पहुंचे थे, लेकिन सरकार के कामकाज के तरीकों से नाराज अखाड़ा परिषद के संत सीएम को 40 मिनट तक इंतज़ार करवाया और अधिकारियों की मान मनौव्वल के बाद बैठक ने शामिल हुए.
अखाड़ों के संत कुंभ कार्यों की धीमी गति और साधु संतों को सुरक्षा न दिए जाने से नाराज थे. जिसके बाद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संतों को आश्वस्त किया और साधु संतों को सुरक्षा मुहैया करवाने का निर्देश दिया. हरिद्वार पुलिस शासन के निर्देश पर परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री को वाई श्रेणी की सुरक्षा और सभी तेरह अखाड़ों के 26 संतो को गनर उपलब्ध करवाने का काम करेगी.
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वहीं, साधु संतों के द्वारा सुरक्षा की मांग करना और सरकार द्वारा वीआईपी श्रेणी की सुरक्षा उन्हें मुहैया करवाने को कुछ जानकार सही नहीं मानते हैं. उनका कहना है की सरकार संतों के तुष्टिकरण में लगी हुई है. संतों का जीवन मानव कल्याण के लिए होता है. अखाड़ों की आपसी रंजिशों के अलावा संतों के साथ किसी भी तरह का कोई विवाद नहीं होता है, इसीलिए वाई श्रेणी की सुरक्षा संतों के लिए स्टेटस सिम्बल से ज्यादा कुछ नहीं है.