रुड़की: देश ही नहीं विदेशों में भी कई सूफी-संतों की मजार है, जहां लोग आस्था से शीष नवाने आते हैं. उन्हीं में से एक सूफी संतों की नगरी पिरान कलियर में विश्व प्रसिद्ध दरगाह हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक में सालभर लोगों का तांता लगा रहता है. वहीं पिरान कलियर में एक अलग ही दुनिया बसती है, जिन्हें मस्तमलंगों की दुनिया कहा जाता है. ये मस्तमलंग दुनिया और रीति-रिवाज से बिल्कुल अलग दिखाई देते हैं, लेकिन इनके सूफियाने गीत फिजा में गूंजते रहते हैं.
मस्तमलंग की अनोखी होती है दुनिया
आमतौर परअपनी धुन में रहने वालों को मस्तमलंग की संज्ञा दी जाती है. अमूमन मस्तमलंग धार्मिक गीतों की रस्म अदा करते हैं. कई मस्तमलंग संतों की दरगाह पर पड़े रहते हैं. जिनके सूफियाने गीत फिजा में गूंजते रहते हैं. वहीं विश्व प्रसिद्ध पिरान कलियर में चार धुनें रजिस्ट्रड हैं, जिनको मस्तमलंग गाते दिखाई देते हैं. उर्स में शिकरत करने आए दूर दराज से मस्तमलंग कलियर पहुंच चुके हैं.