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केदारनाथ और राम मंदिर के रूप में तैयार की जा रही कांवड़, 75 हजार से 4 लाख है कीमत - कांवड़ लेटेस्ट न्यूज

देवभूमि उत्तराखंड अपनी धार्मिक यात्राओं के लिए प्रसिद्ध है. ऐसी ही सावन में कांवड़ यात्रा विश्व प्रसिद्ध है. कांवड़ यात्रा में दूसरे राज्यों से लाखों की संख्या में कांवड़िए हर की पैड़ी आते हैं और जहां से गंगाजल लेकर शिवरात्रि पर अपने-अपने क्षेत्रों के शिवालयों में जलाभिषेक करते हैं. कांवड़ यात्रा में कांवड़ का भी खास महत्व होता है. अलग अलग तरह की कांवड़ को लेकर भी लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है.

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कांवड़ यात्रा

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Published : Jul 18, 2022, 12:14 PM IST

Updated : Jul 18, 2022, 2:53 PM IST

हरिद्वारःकोरोना के कारण 2 साल से बंद कांवड़ यात्रा इस साल अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ने जा रही है. शासन प्रशासन अनुमान से ज्यादा कांवड़ियों के आने की संभावना जता रहे हैं. दूसरी तरफ कांवड़ बनाने वाले कारीगर भी काफी उत्साहित हैं. कांवड़ियों द्वारा कांवड़ बनवाने के लिए भी दिल खोल कर खर्चा किया जा रहा है.

इस बार कांवड़ यात्रा में जोश: इस बार कांवड़ियों द्वारा अलग-अलग तरह की कांवड़ बनाने के लिए दूर-दूर से कारीगरों को बुलाया गया है. ऐसे ही एक कलाकार रमेश कुमार साहू मुरादनगर से हरिद्वार पहुंचे हैं. रमेश कुमार मंदिरों की विशेषता के रूप में कांवड़ तैयार करते हैं. रमेश कुमार साहू का कहना है कि 2 साल से कोरोना के कारण बंद कांवड़ यात्रा अब इस बार उत्साह और जोश के साथ शुरू हुई है. उन्होंने बताया कि वह लगातार कांवड़ मेले में कार्य कर रहे हैं लेकिन इतना उत्साह कांवड़ियों में उन्होंने पहले कभी नहीं देखा है.

केदारनाथ और राम मंदिर के रूप में तैयार की जा रही कांवड़.

75 हजार से 4 लाख तक की कांवड़: रमेश कुमार साहू ने मल्लिकार्जुन, काशी विश्वनाथ मंदिर और नेपाल में स्थित पशुपतिनाथ, राम मंदिर और कई ऐसे कांवड़ के रूप में मंदिरों का निर्माण किया है. रमेश कुमार साहू ने बताया कि ऐसी हर कांवड़ का अलग-अलग रेट है. ये कांवड़ 75 हजार से शुरू होकर लगभग 4 लाख रुपए तक होती हैं. उन्होंने बताया कि केदारनाथ मंदिर और पशुपतिनाथ जैसे मंदिरों का रेट 75 हजार रुपए से शुरू है. वहीं, राम मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर की कांवड़ इन दिनों काफी ट्रेंडिंग में है. उनकी कीमत डेढ़ लाख के करीब है.
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वहीं, गौतमबुद्ध नगर से आए कांवड़ियों का कहना है कि वे 2013 में भगवान पशुपतिनाथ मंदिर की प्रतिरूप की कांवड़ ले गए थे. उसके बाद से लगातार हर वर्ष कांवड़ लेने आते रहे हैं. कांवड़ियों का कहना है कि उनके लिए रुपए के खर्च की कोई सीमा नहीं है. मन में भगवान शिव की आस्था है. इसलिए गर्मी और धूप के बावजूद इतनी कठिन यात्रा बिना किसी परेशानी से पूरा कर लेते हैं.

Last Updated : Jul 18, 2022, 2:53 PM IST

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