हरिद्वार: बीएचईएल क्षेत्र में आए दिन वन्यजीवों की धमक देखने को मिल रही है. जानकारी होने के बावजूद राजाजी टाइगर रिजर्व इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है और किसी बड़ी घटना का इंतजार कर रहा है. वन्यजीवों आबादी के पास दिखने से मानव वन्यजीव संघर्ष से इनकार नहीं किया जा सकता है, जो पूर्व में देखने को मिले हैं. वहीं राजाजी टाइगर रिजर्व की डिप्टी डायरेक्टर कहकशा नसीम का कहना है कि इस बारे में बीएचईएल के जीएम से बात कर समाधान निकालने पर मंथन चल रहा है.
बीएचईएल इलाके को वन्य जीवों से बचाने का नया प्लान, राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन ने की ये अपील
जंगल से निकलकर हरिद्वार बीएचईएल क्षेत्र में वन्यजीव घूमते नजर आ रहे हैं. जिससे मानव वन्यजीव संघर्ष की आशंका बनी रहती है. ऐसे में राजाजी टाइगर रिजर्व की डिप्टी डायरेक्टर ने बीएचईएल के जीएम से बात कर वेस्ट मैनेजमेंट में सुधार करने की बात कही है. साथ ही वन्यजीवों को लुभाने वाली खेती-बाड़ी नहीं करने की अपील की है.
राजाजी टाइगर रिजर्व की डिप्टी डायरेक्टर कहकशा नसीम ने बताया कि बीएचएल के जीएम से इस विषय पर मीटिंग की गई है, जिसमें टाइगर रिजर्व द्वारा क्षेत्र में कुछ सुधार करने के की सलाह दी गई है. कहकशा नसीम ने बताया कि वेस्ट मैनेजमेंट और नॉनवेज डाइट वन्यजीवों को बीएचईएल क्षेत्र में ज्यादा अट्रैक्ट कर रही है. इसके लिए हमने बीएचईएल के एमडी को अपने क्षेत्र के वेस्ट मैनेजमेंट में सुधार के लिए कहा है. इसी के साथ पास हो रही खेती-बाड़ी में भी कुछ सुधार का हम प्रयास कर रहे हैं.
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किसानों से आग्रह किया जा रहा है कि वह गन्ने व अन्य खेती ना करें जिससे वन्यजीव अट्रैक्ट होते हों. कहा कि क्लाइमेट चेंज का असर वन्यजीवों में भी देखने को मिल रहा है. वन्यजीव शहर की ओर प्रोटीन डाइट के लिए ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं. इसका क्या कारण है इसके लिए जल्द ही सर्वे किया जाएगा और किस तरह इन वन्यजीवों को शहरी क्षेत्र में आने से रोका जा सकता है इस पर विचार-विमर्श चल रहा है. फिलहाल प्रोटेक्शन वॉल बनाने की अनुमति नहीं मिल रही है, जिसके लिए सोलर फेंसिंग कराने का निर्णय लिया गया है.