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इस मंदिर में भगवान को 'छत' के लिए करनी पड़ी 25 साल प्रतीक्षा, अब हो रहा निर्माण - haridwar harki padi

हरकी पैड़ी पर ब्रह्मकुंड में गंगा के बीच बना गंगा मंदिर अपने पुराने स्वरूप में जल्द ही वापस आएगा. राजा मानसिंह की छतरी का कार्य अब अंतिम चरण में है.

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राजा मानसिंह की छतरी निर्माण

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Published : Dec 9, 2020, 9:02 AM IST

Updated : Dec 10, 2020, 5:01 PM IST

हरिद्वार: पिछले 25 साल से जिस मंदिर का मामला कोर्ट कचहरी के चक्कर काट रहा था और जिस मंदिर की वजह से हरिद्वार हरकी पैड़ी की सुंदरता अधूरी थी, वह अधूरा मंदिर अब बनकर तैयार हो रहा है. राजा मानसिंह की छतरी के नाम से प्रसिद्ध हरिद्वार के ब्रह्मकुंड के बीचोंबीच स्थित यह मंदिर अब अपने नए स्वरूप में आ रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि जब श्रद्धालु कुंभ के दौरान हरकी पैड़ी पर डुबकी लगाने आएंगे तो उससे पहले यह मंदिर बन कर तैयार हो जाएगा.

'छत' के लिए करनी पड़ी 25 साल प्रतीक्षा.

आपको बता दें कि विश्व प्रसिद्ध हरकी पैड़ी पर 22 सालों से अधूरा पड़ा यह मंदिर शुरू से ही विवादों में घिरा रहा है. हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित इसे राजा मानसिंह की छतरी के नाम से पुकारते हैं. वहीं, मंदिर प्रबंधक और पुजारी इसे प्राचीन गंगा मंदिर मानते हैं. 1998 के कुंभ मेले से पहले अक्टूबर 1997 में इस मंदिर के मुख्य पुजारी बुधकर परिवार ने गंगा बंदी के समय मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू किया था. राजा मानसिंह की छतरी के नाम से मशहूर इस स्थापत्य निर्माण के मूल स्वरूप को बदल कर इसे बड़े मंदिर का रूप दिया गया था. जिसके बाद तीर्थ पुरोहितों की संस्था गंगा सभा ने इस मंदिर का आकार बदलने का विरोध किया था. तब बुधकर परिवार इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा.

अबतक का घटनाक्रम.

सन् 2000 में उत्तराखंड राज्य बनने पर यह मामला नैनीताल हाईकोर्ट पहुंच गया. कुछ साल पहले हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण ने बुधकर परिवार को इस मंदिर के निर्माण की अनुमति प्रदान की थी. बुधकर परिवार ने इस मंदिर के निर्माण का कार्य शुरू कर दिया था और इस पर फिर से विवाद शुरू हो गया था.

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पिछले साल नैनीताल हाईकोर्ट ने हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण को इस मंदिर को पुराने स्वरूप में लाने और इसके लिए भी प्राधिकरण को विशेषज्ञों की एक टीम बनाकर निरीक्षण करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण ने एक समिति बनाई थी, जिसके बाद इस मंदिर का कार्य प्रारंभ हो गया है. अब उम्मीद जताई जा रही है कि यह मंदिर जल्द बनकर तैयार भी हो जाएगा.

ब्रह्मकुंड के बीचोंबीच स्थित गंगा मंदिर.

गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ट ने बताया कि इस मंदिर का कार्य अब अंतिम चरण में है. अब इस मंदिर में फिनिशिंग का कार्य चल रहा है. जिसमें लगभग 1 से 2 माह और लग जाएंगे. इस मंदिर के बन जाने से हरकी पैड़ी की सुंदरता में चार चांद लग जाएंगे. इस मंदिर के साथ ही हरिद्वार की हरकी पैड़ी को एक अलग स्वरूप देने का कार्य गंगा सभा द्वारा किया जा रहा है, जो कि अपने आप में अनूठा होगा.

'राजा मानसिंह की छतरी' का हो रहा निर्माण.

कुंभ मेला अधिकारी दीपक रावत ने कहा कि इस मंदिर का निर्माण इंटेक्ट के द्वारा कराया जा रहा है, जो कि इस तरह के कार्यों में काफी एक्सपर्ट मानी जाती है. हमारे द्वारा समय-समय पर मंदिर की मॉनिटरिंग भी की जा रही है. कुंभ से पहले इस मंदिर को बनाने के लिए दिशा निर्देश भी दिए गए हैं, जिसका कार्य अंतिम चरण में है. कुंभ में यह मंदिर हरकी पैड़ी की सुंदरता को चार चांद लगाने का कार्य करेगा.

कौन थे राजा मान सिंह

राजा मान सिंह राजस्थान आमेर (आम्बेर) के कच्छवाहा राजपूत राजा रहे हैं. उन्हें 'मान सिंह प्रथम' के नाम से भी जाना जाता है. मान सिंह राजा भगवान दास के उत्तराधिकारी थे. राजा मान सिंह अकबर की सेना के प्रधान सेनापति थे. उन्होंने ही आमेर के मुख्य महल के निर्माण कराया था. मान्यता है कि राजा मान सिंह महान कृष्ण भक्त थे, उन्होंने वृंदावन में सात मंजिला कृष्णजी (गोविंद देवजी) का मंदिर बनवाया था. बनारस, पटना और हरिद्वार के घाटों का निर्माण मान सिंह ने ही करवाया था.

कुंभ से पहले तैयार हो जाएगा मंदिर.

मुगलकालीन स्थापत्य कला का शानदार नमूना

इतिहासकारों के मुताबिक, राजा मानसिंह की छतरी (गंगा मंदिर) मुगलकालीन स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना माना जाता था. इसका निर्माण राजा मानसिंह ने अकबर के शासनकाल के समय यानी लगभग साढ़े चार सौ साल पूर्व कराया था. यह प्राचीन मंदिर छतरीनुमा था और इसके चारों ओर खंभे थे. 1997 में बुधकर परिवार ने इस मंदिर के प्राचीन स्वरूप को ज्यों-का-त्यों रखकर उसके ऊपर नए मंदिर का ढांचा खड़ा कर दिया, जिसको लेकर हरिद्वार के पंडों और उनकी संस्था गंगा सभा ने जमकर विरोध किया था. विरोध के कारण हरिद्वार-रूड़की विकास प्राधिकरण ने इस मंदिर का निर्माण बीच में ही रुकवा दिया, तब से मंदिर का निर्माण अधूरा पड़ा था जो अब जाकर पूरा होने की ओर है.

Last Updated : Dec 10, 2020, 5:01 PM IST

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