उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

जानें गुरुकुल का महत्व, 40 दिन बाद अस्पताल से बाहर आए 80 साल के पूर्व छात्र ने जताई ये इच्छा

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र प्रोफेसर ज्ञानेंद्र पांडे कॉलेज कैंपस पहुंचे. जहां उन्होंने अपनी पुस्तक क्षेम कोतुहलम का विमोचन गुरुकुल कांगड़ी विवि के कुलपति प्रो. रूप किशोर शास्त्री के हाथों कराया. वहीं, इस मौके पर अपने पुराने दिनों को यादों को साझा किया.

Gurukul Kangri University
पुस्तक का विमोचन

By

Published : May 17, 2022, 9:35 PM IST

Updated : May 18, 2022, 10:15 AM IST

हरिद्वार: कभी गुरुकुल कांगड़ी विवि के छात्र रहे प्रोफेसर ज्ञानेंद्र पांडे आजकल फिर सक्रिय हैं. वे 79 वर्ष के हो चुके हैं. वहीं, पिछले दिनों वो 40 दिनों तक एम्स ऋषिकेश में एडमिट रहे थे. अब उनकी यादाश्त भी कमजोर पड़ने लगी है, लेकिन इन सबके बावजूद आज उन्होंने अपनी पुस्तक का विमोचन गुरुकुल कांगड़ी विवि के कुलपति प्रो. रूप किशोर शास्त्री के हाथों कराया. वहीं, इस मौके पर अपने पुराने दिनों को याद कर वो भाव विभोर हो गए.

गुरुकुल के पूर्व छात्र और देश के जाने-माने आयुर्वेद के जानकार प्रोफेसर ज्ञानेंद्र पांडे अपने पुराने गुरुकुल कांगड़ी के कैंपस पहुंचे, जहां पर कभी वह पढ़ा करते थे. वे अब 79 वर्ष के हो चुके हैं. ज्ञानेंद्र चलने में भी असमर्थ हैं, लेकिन परिवार के सदस्य उनको गुरुकुल कांगड़ी ले गए. जहां उन्होंने अपनी पुस्तक का विमोचन करवाया.

पुस्तक का विमोचन

प्रोफेसर ज्ञानेंद्र पांडे अपनी उम्र और बीमारी की वजह से बातों को याद नहीं रख पाते हैं, लेकिन ज्ञानेंद्र अपनी पुस्तक विमोचन के लिए गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रूप किशोर शास्त्री के पास पहुंच गए. जहां उन्होंने शास्त्री जी के हाथों अपनी पुस्तक क्षेम कोतुहलम का विमोचन करावाया. कुछ घंटे पहले तक जिनकी स्मृति से बहुत कुछ ओझल हो गया था. उन्होंने दशकों पुरानी यादों को कुलपति के साथ साझा किया.

ये भी पढ़ें:केदारनाथ पहुंच रहे रिकॉर्ड तोड़ यात्री, 6 लाख श्रद्धालुओं ने चारधाम के किए दर्शन, अब तक 44 श्रद्धालुओं की मौत

कौन हैं ज्ञानेंद्र पांडे:प्रोफेसर ज्ञानेंद्र पांडे हरिद्वार में रहते हैं. लगभग 75 से ज्यादा अंग्रेजी और हिंदी की आयुर्वेद की किताबें उन्होंने लिखी हैं. बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों में उनकी किताबों को पढ़ाया जाता है. एक लेखक के साथ-साथ प्रोफेसर ज्ञानेंद्र पांडे पूर्व में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेदिक रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर रह चुके हैं. इसके साथ वह अपनी सेवाएं गुजरात आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी जामनगर में भी दे चुके हैं.

खास बात यह है की 1992 से 1997 के बीच तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने प्रोफेसर ज्ञानेंद्र पांडे को उनकी किताबों के विमोचन के लिए राष्ट्रपति भवन में 5 बार बुलाया. गुरुकुल के कुलपति प्रो. रूप किशोर शास्त्री अपने संस्थान के पूर्व छात्र प्रोफेसर ज्ञानेंद्र पांडे को अपने यहां देखकर बेहद खुश हुए.

उन्होंने कहा ऐसा लगता है मानो गंगा ही उनके द्वार पर आ गई हो. उनके अनुभव, उनकी कार्यशैली और उनकी किताबों का पूरा संग्रहालय यह बताता है कि प्रोफेसर ज्ञानेंद्र पांडे की आयुर्वेद के क्षेत्र में क्या महानता है. कुलपति इस उमर में भी उनसे इस बात का आग्रह कर रहे हैं कि वो जल्दी ठीक होकर गुरुकुल को अपनी सेवाएं देना चाहे तो गुरुकुल उनके लिए हमेशा तैयार है.

Last Updated : May 18, 2022, 10:15 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details