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तीर्थ-पुरोहितों ने की स्केप चैनल के शासनादेश को रद्द करने की मांग, अनिश्चितकालीन धरना शुरू

तीर्थ-पुरोहित ने स्पष्ट किया है कि जबतक स्केप चैनल का शासनादेश रद्द नहीं होगा उनका धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा.

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अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ तीर्थ-पुरोहित.

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Published : Sep 21, 2020, 6:10 PM IST

हरिद्वार: हरकी पैड़ी पर बह रही गंगा की अविरल धारा को स्केप चैनल घोषित करने वाले शासनादेश को वापस लेने की मांग एक बार फिर उठ गई है. स्केप चैनल के शासनादेश को रद्द करने की मांग को लेकर तीर्थ-पुरोहित ने हरकी पैड़ी पर बने हनुमान मंदिर के सामने अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है.

तीर्थ-पुरोहित की मांग है कि स्केप चैनल घोषित करने वाले शासनादेश को वर्तमान सरकार रद्द करें. यह शासनादेश आस्था के साथ खिलवाड़ है. जिसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. तीर्थ-पुरोहित ने स्पष्ट किया है कि जब तक स्केप चैनल के शासनादेश को रद्द नहीं किया जाएगा उनका धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा.

धरने पर बैठे तीर्थ पुरोहित सौरव सिकोला ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत ने गंगा को स्केप चैनल घोषित करने के लिए एक शासनादेश जारी किया था. तब भी हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित ने इसका विरोध किया था. बाद में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि हरीश रावत सरकार की गलती को त्रिवेंद्र सरकार सुधारेगी. लेकिन इस सरकार को भी बने हुए तीन साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है, अभीतक त्रिवेंद्र सरकार ने भी स्केप चैनल के शासनादेश को निरस्त नहीं किया है.

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हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित अनमोल वशिष्ठ ने कहा कि उन्होंने गंगा स्केप चैनल के मुद्दे पर 16 जून 2020 को हाईकोर्ट में जनहित याचिका डाली थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि तत्कालीन उत्तराखंड सरकार ने 16 दिसंबर 2016 को एक शासनादेश जारी कर गंगा की धारा को स्केप चैनल घोषित कर दिया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब भी मांगा था कि वे ये बताए कि ये गंगा की निर्मल धारा है या स्केप चैनल?

अनमोल वशिष्ठ के मुताबिक इस मामले में वे कई बार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक से बात कर चुके हैं. हालांकि उसका कोई नतीजा नहीं निकला है. वर्तमान सरकार अगर इस शासनादेश को रद्द नहीं करती है तो यह वर्तमान सरकार की बड़ी नाकामी होगी.

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