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विस चुनाव: राजनीतिक सत्ता के लिए 'धर्म' का सहारा, संतों के आशीर्वाद से मिलेगी जीत!

2022 विधानसभा चुनाव में महज कुछ महीने बढ़े हैं. ऐसे में उत्तराखंड में सभी राजनीतिक दलों के नेता एक्टिव मोड में आ गए हैं. चुनावी फायदे और वोट बैंक को साधने के लिए हर दल के नेता साधु-संतों के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं.

leaders are meeting with saints of haridwar
साधु-संतों के सहारे वोट साधने की कवायद

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Published : Dec 12, 2021, 3:45 PM IST

Updated : Dec 12, 2021, 10:14 PM IST

हरिद्वार: चुनावी मौसम आते ही धर्मनगरी में राजनीतिक दलों के नेताओं का साधु संतों से मुलाकात (leaders meet saints) का दौर जारी है. यूं तो धार्मिक आस्था के लिए भी अक्सर नेता संतों के आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं, लेकिन चुनावों के मद्देनजर देवभूमि की सियासत में संतों और उनसे जुड़े लोगों को साधना बेहद जरूरी माना जाता है.

चुनावों के वक्त राजनीतिक दल सभी वर्गों को साध कर चलते हैं. वोटरों को प्रभावित करने और अपना वोट बैंक मजबूत करने के लिए राजनीतिक दल पूरजोर कोशिश करते हैं. बीजेपी हो या कांग्रेस हो या फिर आम आदमी पार्टी सभी पार्टियों के नेता हरिद्वार के बड़े संतों के यहां शरणागत हो रहे हैं.

राजनीतिक सत्ता के लिए 'धर्म' का सहारा.

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जानकार बताते हैं कि साधु-संतों के पास ना सिर्फ हिंदुओं का बड़ा वोट बैंक है, बल्कि राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के लिए पैसा भी होता है. इसलिए चुनावों के वक्त नेताओं की बड़े मठाधीशों से नजदीकियां और भी ज्यादा बढ़ जाती हैं.

अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता बाबा हठयोगी का कहना है कि सभी राजनीतिक पार्टियों की ना सिर्फ धार्मिक संस्थाओं और साधु संतों के अनुयायियों पर नजर होती है, बल्कि कई साधु संत और नेताओं का कारोबारी गठजोड़ भी होता है. इसलिए कई साधु संतों के दरबार में राजनीतिक दिग्गज हाजरी लगाने पहुंचते हैं.

Last Updated : Dec 12, 2021, 10:14 PM IST

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