हरिद्वार: भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (भेल) के सीआईएसएफ कैंपस में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की आरक्षक और जीडी भर्ती परीक्षा चल रही है, जिसमें कुछ अभ्यर्थी फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर परीक्षा उत्तीर्ण करने की कोशिश में लगे हुए हैं. हालांकि अधिकारियों की सख्ती और चौकन्ना होने के कारण ऐसे लोग कामयाब नहीं हो पा रहे हैं. सोमवार को इसी तरह के दो जालसाजों को सीआईएसफ कर्मियों ने जांच के दौरान पकड़ा है, जिन्हें बाद में कोतवाली रानीपुर के हवाले कर दिया गया है.
CAPF भर्ती में पुलिस के हत्थे चढ़े दो मुन्नाभाई, आयु सीमा में छूट पाने के लिए की हेराफेरी
हरिद्वार में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए कुछ अभ्यर्थी फर्जी प्रमाण पत्रों का सहारा ले रहे हैं. हालांकि इसमें वो कामयाब नहीं हो पा रहे हैं. सोमवार को सीआईएसएफ कैंपस में चल रही केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की आरक्षक और जीडी भर्ती परीक्षा में ऐसे ही दो जालसाज पकड़े गए हैं. वहीं, रानीपुर कोतवाली पुलिस में अभीतक ऐसे 100 मामले दर्ज हो चुके हैं.
सीआईएसफ की तरफ से दोनों जालसाजों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है. कोतवाली रानीपुर पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार को भेल सीआईएसफ के असिस्टेंट कमांडेंट परमजीत सिंह अपने साथ दो लोगों धीरज कुमार निवासी जिला आगरा और सत्येंद्र निवासी राजस्थान को पकड़कर कोतवाली लाए थे. पुलिस को दी तहरीर में उन्होंने बताया कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल बीएचईएल इकाई में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की आरक्षक और जीडी पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया चल रही है. भर्ती प्रक्रिया में नियमानुसार आरक्षित अभ्यर्थियों को आयु सीमा और हाइट में छूट का प्रावधान है.
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आरोप है कि भर्ती में आए दो अभ्यर्थी धीरज कुमार पुत्र दाऊ दयाल और सत्येंद्र पुत्र राम हंस ने खुद को प्रमाण पत्रों के आधार पर अनुसूचित जनजाति श्रेणी का बताया, लेकिन जांच में सामने आया कि धीरज कुमार की जाति ब्राह्मण (तिवारी) और सत्येंद्र की जाति राजपूत (जादौन) है. दोनों ने बताया कि उनकी आयु अधिक है, इसीलिए उन्होंने आयु में छूट पाने के लिए अपने-अपने जाति प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से अनुसूचित जनजाति के बनाए हैं. ताकि उन्हें आयु सीमा का लाभ दिया, लेकिन उनका ये खेल नहीं चल पाया और सीआईएसफ ने उन्हें पकड़ लिया.