रुड़की: नगर से लगभग 8 किलो मीटर की दूरी पर स्थित विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पिरान कलियर आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. इतना ही नहीं आस्था का केंद्र होने के बावजूद यहां एक अदद बस अड्डे तक की सुविधा नहीं है.
रुड़की में न तो यात्रियों के लिए बस हैं और न ही बस अड्डा बता दें कि पिरान कलियर को पांचवा धाम और विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल धर्मनगरी जैसे अनेकों नामों से जाना जाता है. लेकिन यहां सुविधाओं की बात करें तो ऊंट के मुंह में जीरा नजर आता है. नेशनल हाईवे निर्माण से पहले कलियर मार्ग ही हाईवे कहलाता था.
इतना ही नहीं इसी मार्ग से सभी बसें हरिद्वार और दिल्ली के लिए होकर जाती थीं, लेकिन समय के साथ नेशनल हाईवे डेवलप नहीं हो सका और ये हाईवे तमाम रोडवेज की सुविधाओं से वंचित रह गया. कलियर दरगाह में देश-विदेश से लाखों लोग आते हैं, लेकिन सुविधाएं न होने के चलते उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
जानकारों की माने तो भारत में पहली बार रेलगाड़ी कलियर और रुड़की के बीच चलाई गई थी, लेकिन आज उसी कलियर में बस अड्डे तक की सुविधा नहीं है, जबकि, पिरान कलियर में देश-विदेश से जायरीन आते हैं, जो रुड़की से घोड़ा बुग्गी या डग्गामार वाहनों से पिरान कलियर पहुंचते हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि पिरान कलियर उत्तराखंड का एक बड़ा धार्मिक स्थल है. जहां प्रशासन यात्री सुविधाओं के लाख दावे करले, लेकिन रोडवेज सुविधा न होने से ये धर्म नगरी प्रशासन के उन तमाम दावों की हवा निकालती नजर आती है.
वहीं, इस मामले में रुड़की की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नितिका खंडेलवाल का कहना है कि कलियर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर रुड़की शहर बसा हुआ है, जहां रोडवेज और रेलवे की तमाम सुविधाएं मौजूद हैं कलियर के लोग ऑटो या अन्य सवारियों के द्वारा रुड़की पहुंच रहे हैं.
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट का कहना है कि कलियर में उर्स के दौरान विशेष वाहनों का इंतजाम भी किया जाता है. वहीं, रोडवेज का मामला प्रशासनिक स्तर पर उठा दिया गया है. अगर इससे संबंधित कोई समस्या आती है तो शासन को अवगत करा दिया जाएगा.