हरिद्वार:बिहार के गया जी को सबसे बड़ा पितृ तीर्थ माना जाता है. गया में पितृ पक्ष के दिन तर्पण करने से पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति मिलकर मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं, हरिद्वार में यही महत्व नारायणी शिला मंदिर का भी है. मान्यता है कि नारायणी शिला मंदिर पर पिण्डदान और श्राद्ध कर्म करने से गया जी का पुण्य फल मिलता है.
पितृ पक्ष में पितरों का उनके देहान्त की तिथि के दिन श्राद्ध करना जरूरी माना गया है. मान्यता है कि पितरों का श्राद्ध ना करने से पितृ नाराज हो जाते हैं. जिसके बाद उनके श्राप से व्यक्ति पितृ दोष से ग्रसित हो जाता है. कहते हैं कि जिस घर में पितृ दोष होता है, उस घर की सुख-शांति खत्म हो जाती है और तरह-तरह की समस्याएं आने लगती है. पितृ दोष के निवारण के लिए देश में नारायणी शिला मंदिर को खास स्थान माना जाता है. इसी लिए पितृ दोष की शांति के लिए पितृ पक्ष सबसे उपयुक्त दिन होते हैं. इन दिनों में पित्रों को प्रसन्न कर पितृ दोष से भी मुक्ति पाई जा सकती है. मान्यता है कि हरिद्वार में आकर अपने पित्रों का पिंडदान और गंगा जल से तर्पण करने से उन्हें मोक्ष मिल जाता है.