उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

हरिद्वार: पितृपक्ष पर नारायणी शिला मंदिर के कपाट बंद, आखिरी दिन ऐसे करें पितरों को प्रसन्न

आज पितृपक्ष के आखिरी दिन सर्व पितृ अमावस्या मनाई जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या कहते हैं. जिसका हिन्दू धर्म में खासा महत्व है.

Haridwar
नारायण शिला मंदिर

By

Published : Oct 6, 2021, 12:17 PM IST

Updated : Oct 6, 2021, 2:06 PM IST

हरिद्वार: आज पितृपक्ष (Pitru Paksha 2021) का आखिरी दिन है. आज ही के दिन बड़ी तादाद में लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान और तर्पण करने हरिद्वार की नारायण शिला पहुंचते हैं. लेकिन इस बार पिछले वर्ष की भांति कोरोना संक्रमण के चलते कर्मकांड अनुष्ठान के लिए नारायणी शिला मंदिर को श्रद्धालुओं के बंद रखा गया है. जिससे लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं. वहीं, श्रद्धालु गंगा तट पर अपने पितरों का अनुष्ठान करा रहे हैं.

नारायण शिला मंदिर पर हर वर्ष चैत्र अमावस्या के दिन मेला लगता था, जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं. मगर इस बार भी कोरोना संक्रमण के चलते मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए बंद रखा जाएगा, इसके लिए मंदिर के गेट पर बैनर और सूचना भी लिखी गई है. जिसकी वजह कोरोना बताई गई है. कोरोना गाइडलाइन के अनुसार मंदिर में अमावस्या मेले को स्थगित किया गया है. वहीं, श्रद्धालु गंगा तट पर अपने पितरों का अनुष्ठान करा रहे हैं.

आखिरी दिन ऐसे करें पितरों को प्रसन्न.

पढ़ें-पितृ अमावस्या: हरकी पैड़ी पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, स्नान और तर्पण जारी

वहीं, नारायण शिला मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित मनोज त्रिपाठी ने बताया कि पिछले 16 दिनों से श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं, जिस दौरान पूर्वज पृथ्वी में आकर निवास करते हैं और अमावस्या के दिन विधि विधान के द्वारा की गई पूजा के बाद अपने लोक को प्रस्थान करते हैं. पंडित मनोज त्रिपाठी ने आगे बताया कि 16 दिनों के हिसाब से 16 घी के दीये बनाए जाते हैं, जो देसी घी द्वारा जलाए जाते हैं. साथ ही 16 सिक्के और 16 ही मिठाई रखी जाती हैंं. जिसके बाद पितरों को विदा किया जाता है.

Last Updated : Oct 6, 2021, 2:06 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details