हरिद्वार: कोरोना वायरस और लॉकडाउन की दोहरी मार किसानों पर पड़ी है. किसानों ने फसल तो बंपर उगा ली, लेकिन बाजार नहीं मिलने पर उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. हरिद्वार में मशरूम की खेती करने वाले किसान मशरूमों को कूड़े में फेंकने पर मजबूर हो गए हैं. किसानों का कहना है कि खेती के लिए ना तो मजदूर मिल रहे हैं और ना ही प्रोडक्ट को मार्केट मिल रहा है. जिसकी वजह से लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है. ऐसे में हमारी सरकार से मांग है कि मशरूम किसानों को मुआवजा दिया जाए.
हरिद्वार में मशरूम की खेती करने वाले किसान रवींद्र कुमार चौहान का कहना है कि मशरूम की खेती दो चरणों में होती है. पहले मशरूम की खेती के लिए कंपोस्ट तैयार किया जाता है. उसके बाद मशरूम कल्टीवेशन किया जाता है. लॉकडाउन में कंपोस्ट तैयार हुआ था. मगर लेबर नहीं मिलने के कारण हमें उसे फेंकना पड़ा.
मशरूम की खेती पर लॉकडाउन की मार. एक कंपोस्ट में 20 टन मशरूम की खेती होती है और इसे बनाने में सवा दो लाख रुपए खर्च होते हैं. ऐसे में हमारे दो कंपोस्ट खराब होने से साढ़े चार लाख रुपए का नुकसान हुआ है. हर रोज तकरीबन 2 क्विंटल मशरूम बाजारों में जाती थी. लेकिन फिलहाल 8 से 10 किलो ही मार्केट में जा रही है. जिसकी वजह से हमें तकरीबन 12 लाख का नुकसान हो गया है. ऐसे में हम सरकार से मुआवजे की मांग करते हैं.
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मुख्य उद्यान अधिकारी नरेंद्र यादव का कहना है विभाग ने मशरूम किसानों को हुए 5 लाख 60 हजार रुपए के नुकसान की रिपोर्ट सरकार को भेज दी है. हरिद्वार में दुकानें खोली जा रही है. मंडी पहले से ही खुले हुए हैं. इससे अलग भी अगर किसानों को नुकसान हुआ है तो उसकी आकलन रिपोर्ट जल्द सरकार को भेजा जाएगा. मशरूम की खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी देने के लिए भी बातचीत हो रही है. जल्द ही किसानों के नुकसान की भरपाई हो जाएगी.