रुड़की: दुनिया में हर त्योहार खुशी के साथ मनाया जाता है, लेकिन मोहर्रम एक ऐसा त्योहार है. जिसे गम के साथ मनाया जाता है. इसे गम का त्योहार कहा जाता है. इस दिन हजरत इमाम हुसैन को मानने वाले लोग अपने जिस्म को जंजीरों से लहूलुहान कर देते हैं. जख्म होने पर भी उनके मुंह से आह तक नहीं निकलती है. गम में डूब कर हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं.
माना जाता है कि हजरत इमाम हुसैन इंसानियत और इस्लाम को बचाने के लिए निहत्थे अपने 72 वफादार साथियों के साथ कर्बला के मैदान में उतरे थे. जहां पर इस्लाम के दुश्मन यजीद के साथ लड़े थे. इसमें यजीद ने हजरत इमाम हुसैन को इस्लाम धर्म का बड़ा पैरोकार मानते हुए बेरहमी से उनकी और उनके साथियों का कत्ल कर दिया था.