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भोले की भक्ति में रमीं रेखा आर्य, 25 KM कांवड़ यात्रा कर 1300 साल पुराने वीरभद्र मंदिर में किया जलाभिषेक - Minister Rekha Arya perform Jalabhishek in Virbhadra temple while doing a kanwar yatra of 25 km

उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने शिवरात्रि के मौके पर हरिद्वार हरकी पैड़ी से गंगाजल लिया और करीब 25 किमी पैदल कांवड़ लेकर ऋषिकेश के प्रसिद्ध 1300 साल पुराने वीरभद्र महादेव मंदिर पहुंची, जहां उन्होंने बाबा भोलेनाथ का गंगाजल से अभिषेक किया. उन्होंने 25 किमी की पैदल कांवड़ यात्रा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के संदेश के साथ की.

कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या
कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या

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Published : Jul 26, 2022, 6:21 PM IST

Updated : Jul 26, 2022, 7:14 PM IST

ऋषिकेश:देश और प्रदेश में लैंगिक असमानता को दूर करने का संकल्प लेकर कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ऋषिकेश में वीरभद्र महादेव के दर पर कांवड़ लेकर पहुंची. उन्होंने गंगाजल से महादेव का अभिषेक कर पूजा-अर्चना की. मंत्री ने कांवड़ यात्रा के दौरान बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का संदेश भी दिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि पूरी कोशिश है कि उत्तराखंड की रजत जयंती के वक्त उत्तराखंड में लिंगानुपात समान होगा और देवियों की भूमि से एक संकीर्ण मानसिकता का विनाश होगा.

मंगलवार सुबह महिला शक्तिकरण और बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने हरिद्वार हरकी पैड़ी से गंगाजल भरा. इसके बाद उन्होंने कांवड़ उठाकर 25 किलोमीटर की पैदल यात्रा की. यात्रा के अंतिम पड़ाव वीरभद्र महादेव मंदिर पहुंचकर उन्होंने भगवान भोलेनाथ का गंगाजल से जलाभिषेक किया. इस दौरान मंत्री ने वैदिक-मंत्रोच्चारण के साथ पूजा-अर्चना भी की. मंदिर परिसर में उन्होंने नंदी को छूकर आशीर्वाद भी लिया.

भोले की भक्ति में रमीं रेखा आर्य
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मंत्री ने कहा कि श्रावण मास शिव का पावन महीना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार यह संकल्प दोहराते हैं कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ. इसी क्रम में लैंगिक असमानता देश और प्रदेश में लाने के संकल्प के साथ यात्रा की. उन्होंने कहा कि मुझे जन्म लेने दो, शिव के माह में शक्ति के संकल्प के साथ गंगाजल और यात्रा महादेव को समर्पित की है. मौके पर मेयर अनीता ममगाईं, भाजपा मंडल अध्यक्ष दिनेश सती समेत दर्जनों की संख्या में भाजपा कार्यकर्ता व श्रद्धालु मौजूद रहे.

उत्तराखंड में अभी इतना है लिंगानुपात: प्रदेश सरकार ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को वृहद स्तर पर चलाया है. आज उत्तराखंड में लिंगानुपात का आंकड़ा 1000 बालकों पर 950 बालिकाओं का है. जिस पर अब लक्ष्य रखा गया है कि प्रदेश की रजत जयंती के अवसर पर यह आंकड़ा 1000 पर 1000 का हो और उत्तराखंड से एक सन्देश जाए कि यह मात्र देवों की ही नहीं बल्कि देवियों की भूमि भी है.

उत्तराखंड की कैबिनेट मंत्री हैं रेखा आर्य:रेखा आर्य उत्तराखंड की एकमात्र महिला मंत्री हैं. उनके पास महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग है. इसके साथ ही रेखा आर्य के पास खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले के साथ खेल और युवा कल्याण विभाग की जिम्मेदारी भी है. रेखा आर्य उत्तराखंड बीजेपी की तेज तर्रा नेता मानी जाती हैं. रेखा आर्य अल्मोड़ा जिले की सोमेश्वर विधानसभा सीट से विधायक हैं.

क्या है कांवड़ यात्रा:हर साल श्रावण मास में लाखों की तादाद में कांवड़िये सुदूर स्थानों से आकर गंगा जल से भरी कांवड़ लेकर पदयात्रा करके अपने गांव वापस लौटते हैं इस यात्राको कांवड़ यात्रा बोला जाता है. श्रावण की चतुर्दशी के दिन उस गंगा जल से अपने निवास के आसपास शिव मंदिरों में शिव का अभिषेक किया जाता है. कहने को तो ये धार्मिक आयोजन भर है, लेकिन इसके सामाजिक सरोकार भी हैं. कांवड़ के माध्यम से जल की यात्रा का यह पर्व सृष्टि रूपी शिव की आराधना के लिए है. पानी आम आदमी के साथ साथ पेड़ पौधों, पशु-पक्षियों, धरती में निवास करने वाले हजारों, लाखों तरह के कीड़े-मकोड़ों और समूचे पर्यावरण के लिए बेहद आवश्यक वस्तु है. उत्तर भारत की भौगोलिक स्थिति को देखें तो यहां के मैदानी इलाकों में मानव जीवन नदियों पर ही आश्रित है.

नदियों से दूर-दराज रहने वाले लोगों को पानी का संचय करके रखना पड़ता है. हालांकि मानसून काफी हद तक इनकी आवश्यकता की पूर्ति कर देता है, तदापि कई बार मानसून का भी भरोसा नहीं होता है. ऐसे में बारहमासी नदियों का ही आसरा होता है. और इसके लिए सदियों से मानव अपने इंजीनियरिंग कौशल से नदियों का पूर्ण उपयोग करने की चेष्टा करता हुआ कभी बांध तो कभी नहर तो कभी अन्य साधनों से नदियों के पानी को जल विहीन क्षेत्रों में ले जाने की कोशिश करता रहा है. लेकिन आबादी का दबाव और प्रकृति के साथ मानवीय व्याभिचार की बदौलत जल संकट बड़े रूप में उभर कर आया है.

धार्मिक महत्व: धार्मिक संदर्भ में कहें तो इंसान ने अपनी स्वार्थपरक नियति से शिव को रूष्ट किया है. कांवड़ यात्रा का आयोजन अति सुन्दर बात है. लेकिन शिव को प्रसन्न करने के लिए इन आयोजन में भागीदारी करने वालों को इसकी महत्ता भी समझनी होगी. प्रतीकात्मक तौर पर कांवड़ यात्रा का संदेश इतना भर है कि आप जीवनदायिनी नदियों के लोटे भर जल से जिस भगवान शिव का अभिषेक कर रहे हैं, वे शिव वास्तव में सृष्टि का ही दूसरा रूप हैं. धार्मिक आस्थाओं के साथ सामाजिक सरोकारों से रची कांवड़ यात्रा वास्तव में जल संचय की अहमियत को उजागर करती है. कांवड़ यात्रा की सार्थकता तभी है जब आप जल बचाकर और नदियों के पानी का उपयोग कर अपने खेत खलिहानों की सिंचाई करें और अपने निवास स्थान पर पशु पक्षियों और पर्यावरण को पानी उपलब्ध कराएं तो प्रकृति की तरह उदार शिव सहज ही प्रसन्न होंगे.

Last Updated : Jul 26, 2022, 7:14 PM IST

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