हरिद्वारःहर साल सर्दियों का मौसम शुरू होते ही कई प्रकार के विदेशी परिंदे हजारों किलोमीटर की हवाई सफर कर हरिद्वार पहुंचते हैं. कुछ महीनों तक यही उनका अस्थाई बसेरा होता है. जलधारा के कई तटों पर यह पक्षी गंगा में विचरण करते साफ नजर आते हैं. पक्षी विशेषज्ञों की मानें तो रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते अक्टूबर में पहुंचने वाले यह परिंदे इस बार नवंबर मध्य में जाकर हरिद्वार पहुंचे हैं. इन पक्षियों को देखने के लिए लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है.
बता दें कि सर्दियों में उत्तरी गोलार्ध के शीत प्रदेशों से लाखों की संख्या में प्रवासी पक्षी भारतीय उपमहाद्वीप में आते हैं. इसी कड़ी में विदेशी परिंदों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है. गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार (Gurukul Kangri University Haridwar) के अंतरराष्ट्रीय पक्षी वैज्ञानिक प्रोफेसर दिनेश भट्ट (International ornithologist Dinesh Bhatt) ने बताया कि करीब 10 प्रजातियों के पक्षी हरिद्वार पहुंच चुके हैं.
जिनमें सुर्खाब यानी चकवा चकवी (Surkhab bird) के सैकड़ों जोड़े, रिवर लैपविंग (River lapwing), कॉमन टील (Eurasian teal), पलाश गल, ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट (Black winged stilt), कॉमन पोचार्ड (Common pochard), रिवर टर्न, नॉर्दन पिनटेल (Northern pintail), नॉर्दन शोवलर (Northern shoveler), कौम्बडक, पनकौआ यानी जलकाक (Cormorant) आदि शामिल हैं. हिमालयी क्षेत्रों से आने वाले पक्षियों में खंजन, फैनटेल फ्लाईकैचर, ब्लैक बर्ड, वारवलर समेत अन्य शामिल हैं.
शोध छात्रा पारुल (Research Scholar Parul) ने बताया कि न केवल भारतीय उपमहाद्वीप में बल्कि विश्व के अनेक क्षेत्रों में शीतकाल और ग्रीष्म काल में पक्षियों का माइग्रेशन होता है. पिछले महीने यानी अक्टूबर में बार टेल्ड गॉडविट (Bar tailed godwit) नामक पक्षी ने अलास्का (अमेरिका) से यात्रा शुरू की. करीब 11 दिन में 5560 किमी की दूरी पार कर ऑस्ट्रेलिया के पास टासमानिया पहुंची है. खास बात ये है कि इस पक्षी ने यह यात्रा प्रशांत महासागर के ऊपर से बिना रुके और बिना थके पूरी की. इस पक्षी पर जीपीएस लगा हुआ था, जिससे वैज्ञानिकों को पक्षी के मार्ग का पता लगता रहा.