हरिद्वारःशारदा पीठ और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद उनके शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को नया उत्तराधिकारी बनाया गया है, लेकिन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य मानने से इंकार कर रहा है. वहीं, गंगा की अविरलता और निर्मलता के कार्य करने वाली संस्था मातृ सदन के संत स्वामी शिवानंद सरस्वती ने अविमुक्तेश्वरानंद के समर्थन में आ गए हैं. उन्होंने अखाड़ा अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी और शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप को आड़े हाथों लिया है. उन्हें शंकराचार्य जैसे पद पर बयान देने का दोनों को अधिकार न होना बताया है.
दरअसल, शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के शंकराचार्य बनने के बाद अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी और शंकराचार्य परिषद की ओर से लगातर विरोध किया जा रहा है. जिसके बाद अब हरिद्वार में सालों से गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए कार्य करने वाली संस्था मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती (Swami Shivanand Saraswati), शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के समर्थन में आ गए हैं.
स्वामी शिवानंद ने अखाड़ा परिषद और शंकराचार्य परिषद दोनों ही संस्थाओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्हें शंकराचार्य के पद को लेकर किसी प्रकार का हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. शंकराचार्य की ओर से ही अखाड़ों को बनाया गया था. ऐसे में अखाड़ों को कोई अधिकार नहीं है कि वे शंकराचार्य के पद को चुनौती दें. शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने ही दोनों शिष्यों को अपने रहते शंकराचार्य पद के लिए तैयार किया था. दोनों ही शिष्य शंकराचार्य पद के लिए पूर्ण रूप से योग्य हैं.