हरिद्वार:देश की आजादी के सबसे बड़े मतवाले के रूप में पहचाने जाने वाले महात्मा गांधी का धर्मनगरी हरिद्वार से अलग ही लगाव रहा है. महात्मा गांधी अपने पूरे जीवनकाल में दो बार धर्मनगरी हरिद्वार पहुंचे थे. वे पहली बार 1915 में और दूसरी बार 1916 में हरिद्वार आए थे. साउथ अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ अपने सबसे पहले आंदोलन के बाद 9 जनवरी 1915 को गांधी जी भारत लौटे. उसी साल धर्मनगरी हरिद्वार मेंं महाकुंभ का आयोजन होना था. गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के संस्थापक स्वामी श्रद्धानंद (महात्मा मुंशी राम) के बुलावे पर विलायत से लौटने के तीन महीने बाद अप्रैल में गांधी जी हरिद्वार पहुंचे. धर्मनगरी हरिद्वार पहुंचने के बाद उन्होंने भारत में हिंदू धर्म के सबसे बड़े आयोजनों में से एक कहे जाने वाले महाकुंभ में प्रतिभाग किया था.
1915 यह वह समय था गांधी जी अभी-अभी भारत लौटे थे, एवं भारत की स्वतंत्रता के लिए वृहद जन आंदोलन खड़ा करने के लिए सोच विचार कर रहे थे. जानकारों के अनुसार उस समय महात्मा गांधी ने महाकुंभ में स्नान कर मां गंगा से यह आशीर्वाद मांगा था कि उनको देश की आजादी के लिए शक्ति प्रदान करें. धर्मनगरी हरिद्वार में महाकुंभ के दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं, यही देखते हुए महात्मा गांधी ने धर्मनगरी हरिद्वार के तीर्थ पुरोहितों से अनुरोध किया था कि वह यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को कर्मकांड के दौरान धार्मिक संकल्प करवाने के साथ ही आजादी के लिए कार्य करने का संकल्प भी दिलाएं. जिससे ज्यादा से ज्यादा जनशक्ति आजादी के समय में अंग्रेजों के खिलाफ उतर सके.