हरिद्वार:आगामी कुंभ मेले के लिए कुछ समय ही शेष है, लेकिन कुंभ के स्वरूप को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है, जिसको लेकर हरिद्वार के संतों में सरकार के प्रति रोष है. उनका कहना है कि जब बिहार और हैदराबाद में बड़ी-बड़ी चुनावी रैलियां हो सकती हैं, तो हरिद्वार कुंभ क्यों नहीं हो सकता? हरिद्वार के संतों ने उत्तराखंड सरकार को प्रयागराज में होने जा रहे माघ मेला का हवाला देते हुए कहा है कि यूपी सरकार प्रयागराज में माघ मेले को भव्य तरीके से मना रही है. इसके लिए बड़े स्तर पर पंडालों की व्यवस्था भी की जा रही है, लेकिन हरिद्वार कुंभ में शासन और मेला प्रशासन संतों को पंडाल लगाने की अभी अनुमति भी नहीं दे रहा है.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और उत्तराखंड सरकार की वार्ता हुई थी कि कोरोना महामारी को देखते हुए कुंभ के स्वरूप को लेकर निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि अब कोरोना महामारी कम हो रही है और उत्तर प्रदेश सरकार माघ मेला भव्य रूप से मनाने जा रही है. साथ ही माघ मेले में टेंट की व्यवस्था की जा रही है. इसलिए उन्होंने निर्णय लिया है कि हरिद्वार कुंभ भी साल 2010 की तर्ज पर ही होगा. इसमें कोई किंतु परंतु नहीं है.
जब रैलियां हो सकती हैं, तो कुंभ मेला क्यों नहीं-नरेंद्र गिरि
महंत नरेंद्र गिरि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से आग्रह किया है कि वो मेला प्रशासन को निर्देश दें कि मेला भव्य कराएं. उन्होंने कहा कि अब सारे सामाजिक कार्य हो रहे हैं. बिहार में चुनाव हो गए. सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी पार्टियों का अभियान चला रहे हैं, तो हरिद्वार का कुंभ क्यों नहीं हो सकता? उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री उत्तराखंड के सीएम को निर्देश दें कि वो कुंभ मेला भव्य तरीके से कराएं. यह बहुत जरूरी हो गया है.