हरिद्वार:ज्योतिषीय गणना के हिसाब से भले ही महाकुंभ का समय अभी बचा है, लेकिनआखिरी शाही स्नान के बाद महाकुंभ 2021 आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया है. महाकुंभ में लगे शिविरों में भी धार्मिक अनुष्ठान समाप्त हो चुके हैं. जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिविर का भी आखिरी शाही स्नान के साथ समापन हो गया है.
महाकुंभ 2021 के अंतिम शाही स्नान के बाद जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के कुंभ में लगे शिविर का भी विधिवत समापन हो गया है. उनके शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा गंगा की नीलधारा में अंतिम शाही स्नान कर महाकुंभ शिविर में लगी धर्मध्वजा को विधिवत धार्मिक अनुष्ठान के बाद उतार कर महाकुंभ की समाप्ति की घोषणा की गई.
धर्मध्वजा उतरी, महाकुंभ संपन्न
इसके बाद ब्राह्मणों को भोज कराया गया. इस अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि धर्मध्वजा के उतरने के साथ ही महाकुंभ शिविर का समापन हो रहा है. पिछले 1 महीने में लगातार धार्मिक अनुष्ठान होते रहे. गंगा की नीलधारा में रोज सुबह-शाम गंगा आरती की जाती रही. वहीं इस बीच कुंभ के सबसे बड़े शाही स्नान पर शंकराचार्य भी स्नान करने के लिए आए. उन्होंने इस अवसर पर कहा कि कुछ अखाड़ों ने अंतिम शाही स्नान से पूर्व अपने देवता भी विसर्जित कर महाकुंभ समाप्ति की घोषणा कर दी थी. इसके बाद भी वे अंतिम शाही स्नान करने के लिए आए.
संतों में आई खटास
उन्होंने कहा कि एक बड़े अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर की प्रधानमंत्री से हुई वार्ता के बाद, उन्होंने बिना किसी से चर्चा किए कुंभ के अंतिम शाही स्नान के स्वरूप को प्रतीकात्मक रूप दिए जाने और कुंभ समाप्ति की घोषणा कर डाली. लेकिन कुंभ के अंतिम शाही स्नान पर उन्हीं के अखाड़ों और संतों द्वारा उनकी बात काटी गई. उन्होंने कहा कि कोई भी निर्णय लेने से पूर्व आचार्य महामंडलेश्वर को साथ लेना चाहिए था. वे ना केवल अपने अखाड़े से वार्ता करें बल्कि पूरे संत समाज से चर्चा करें और उसके बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचें.
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