हरिद्वार: महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर हरिद्वार के कनखल स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर में भोले शिव की विशेष आरती और पूजा का आयोजन किया गया. इस दौरान मंदिर के पुजारी ने पहले शिव के विग्रह का श्रृंगार किया. शिव भक्तों के लिए आज का दिन खास है. पुराणों के अनुसार शिव चतुर्दशी के दिन भगवान आशुतोष का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था. शिव के विवाह के इस दिन को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है.
ऐसा मानना है कि कैलाश के बाद अगर शिव कहीं और विराजते हैं तो वह हरिद्वार की पावन धरती है. पुराणों और शास्त्रों के अनुसार शिव का ससुराल हरिद्वार के कनखल में स्थित है. हमारे शास्त्रों और पुराणों में वर्णन है कि कनखल में ब्रह्माजी के पुत्र और राजा दक्ष की पौराणिक नगरी स्थित थी. दक्षेश्वर महादेव मंदिर जिसे दक्ष प्रजापति मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.
पौराणिक कथा अनुसार शिव के ससुर राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया था. इसमें उन्होंने सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया पर अपने दामाद शिव को आमंत्रण नहीं भेजा. दक्ष के यज्ञ के बारे में सती को पता चला तो वह शिव से यज्ञ में जाने की जिद करने लगी, लेकिन शिव ने कहा कि हमें निमंत्रण नहीं दिया गया है, इसलिए हमें वहां नहीं जाना चाहिए.
पिता प्रेम के कारण सती ने शिव की आज्ञा का उल्लंघन कर यज्ञ में चली गई. उनके वहां पहुंचने पर उन्होंने देखा कि सभी देवी-देवताओं का यज्ञ में स्थान तो है, लेकिन उनके पति को स्थान नहीं दिया गया है. वहीं उनके पिता शिव के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं. यह सब सती से सहन नहीं हुआ और सती ने यज्ञ कुंड में कूदकर खुद को दाह कर लिया.