उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

कुशग्रहणी अमावस्या है बेहद खास, संतान प्राप्ति के लिए करें ये उपाय - latest hindi news

18 अगस्त 2020 मंगलवार को कृष्ण पक्ष की अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्य मनाया जाएगा. पौराणिक मान्यता के अनुसार स्वयं मां पार्वती ने देवराज इंद्र की पत्नी को इस व्रत का महत्व बताया था. मान्यता है कि इस दिन इस व्रत और अन्य पूजन कार्य करके से पित्रों की आत्मा को शांति मिलती है.

haridwar
कुश ग्रहणी अमावस्या की मान्यता.

By

Published : Aug 17, 2020, 8:04 PM IST

हरिद्वार:कृष्ण पक्ष की अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्य के रूप में मनाया जाता है. इसे देवपुत्र कार्य अमावस्या और पिठोरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस वर्ष ये अमावस्या 18 अगस्त यानी कल पड़ रही है. मान्यता है कि इस दिन इस व्रत और अन्य पूजन कार्य करके से पित्रों की आत्मा को शांति मिलती है.

कुशग्रहणी अमावस्या की मान्यता.

पढ़ें-हरिद्वार: जल्द शुरू होगा 52 शक्तिपीठों के मंदिर का निर्माण कार्य

शास्त्रों के अनुसार अमावस्या तिथि का स्वामी पित्र देव होता है, इसलिए इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण और दान पुण्य का अत्याधिक महत्व होता है. इस दिन कुश से पूजा की जाती है कुछ ग्रहणी अमावस्या को विभिन्न प्रकार से पूजा करने का भी विधान है. पंडित मनोज शास्त्री बताते हैं कि शास्त्रों में 10 प्रकार के कुश का उल्लेख मिलता है. मान्यता है कि कुश घास के इन 10 प्रकार में जो भी घास आसानी से मिल सके उसे पूरे वर्ष के लिए एकत्रित कर लिया जाता है. खास बात यह है कि सूर्योदय के समय घास को लेकर दाहिने हाथ से उखाड़ कर ही एकत्रित करना चाहिए और उसकी पत्तियां पूरी होनी चाहिए.

इस अमावस्या पर साल भर के धार्मिक कार्यों के लिए कुश एकत्रित की जाती है, क्योंकि इसका प्रयोग प्रत्येक धार्मिक कार्य के लिए किया जाता है. उन्होंने आगे कहा कि कुशा तोड़ते समय ॐ फट् मंत्र का जाप करना चाहिए. साथ ही इस दिन पूर्व या उत्तर की ओर बैठकर पूजा करें. इस दिन का महत्व बताते हुए कई पुराणों में कहा गया है कि रुद्रावतार हनुमान जी कुश का बना हुआ जनेऊ धारण करते हैं. इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details