हरिद्वार: इन दिनों देशभर में चैत नवरात्र की धूम है. ऐसे में ईटीवी भारत आपको हरिद्वार स्थित मां की पीठों के दर्शन एवं उससे जुड़ी कथाओं के बारे में लगातार बता रहा है. आज हम आपको मां के एक ऐसे स्वयंभू स्वरूप के दर्शन कराएंगे, जिसके आगे देश पर राज करने वाले अंग्रेज भी नतमस्तक हो गए थे. मां ने एक अंग्रेज अधिकारी के स्वप्न में आकार अपने मौजूदगी का स्वयं अहसास कराया था.
यहां स्वयं प्रकट हुईं है मां काली: हरिद्वार में वैसे तो जगह-जगह मां के अनेक प्रसिद्ध स्थान हैं. जहां मां स्वयं विराजती हैं. इन सभी स्थानों पर मांविराजमान है. चंडी देवी के बाद रेलवे लाइन हरिद्वार के किनारे पहाड़ पर स्वयं प्रकट हुई मां काली का एक ऐसा मंदिर विराजमान है, जिसने अब से करीब सवा सौ साल पहले अंग्रेजों का रास्ता भी रोक दिया था.
रेलवे सुरंग निर्माण में बाधा: बताया जाता है की हरिद्वार से देहरादून जाने के लिए अंग्रेजों द्वारा रेलवे लाइन बनाने का काम साल 1889 में चल रहा था. इस दौरान भीमगोड़ा क्षेत्र में रेलवे की सुरंग बना ली गई थी, लेकिन रेलवे ट्रैक डालने का काम इस सुरंग से आगे नहीं बढ़ पा रहा था. बार-बार कभी पहाड़ लाइन के रास्ते पर गिर रहा था, तो कभी कोई हादसा हो रहा था. सुरंग से करीब दो सौ मीटर दूर पहाड़ पर मां काली का एक स्वयंभू मंदिर था. जहां भक्त आया-जाया करते थे, लेकिन इस रेलवे लाइन डालने के चक्कर में अंग्रेजों ने इस मंदिर तक जाने वाले रास्ते को ही बंद कर दिया था.
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इंजीनियर के सपने में आईं थी मां: जानकार बताते हैं की इस ट्रैक को डलवाने वाले इंजीनियर को तब सपने में मां काली ने साक्षात दर्शन दिए और साफ कहा की जब तक तुम मेरे मंदिर तक जाने का रास्ता तैयार नहीं करोगे. तब तक ये रेलवे लाइन का काम आगे नहीं बढ़ पाएगा. जिसके बाद उस इंजीनियर ने पहले मंदिर तक जाने के लिए लोहे का ब्रिज बनवाया. तब जाकर रेलवे लाइन का काम दोबारा बिना किसी विघ्न के शुरू हो सका.
बैठी अवस्था में हैं मां: अधिकतर मंदिरों में मां खड़े रूप में ही नजर आती हैं, लेकिन इस काली के मंदिर में मां बैठे हुए रूप में पूजी जाती हैं.
आज भी धीमी होकर ट्रेन देती है सलामी: इस मंदिर की महत्ता को अंग्रेज भी मानने लगे थे, यही कारण है कि अंग्रेजों के काल से ही यहां से गुजरने वाली प्रत्येक रेलगाड़ी मां को सलामी देकर निकलती है. बिना हॉर्न दिए कोई भी ट्रेन मंदिर को पार नहीं करती. यह क्रम अंग्रेजों के काल से आजतक जारी है.