हरिद्वार:धर्मनगरी हरिद्वार में धर्म और अध्यात्म का रंग गाढ़ा हो चला है. सिंदूरी आभा बिखेर रही धर्मनगरी में चारों ओर बम बम भोले के जयकारे गुंजायमान है. धर्मनगरी पर फाल्गुन मास की कांवड़ का रंग पूरी तरह से चढ़ा हुआ है. भगवान शिव शंकर की उपासना को समर्पित फाल्गुन मास कांवड़ यात्रा के चलते धर्मनगरी में रक्तवर्णी और पीतांबर वस्त्र धारण कर कांवंडिए आस्था की डगर पर निकले हुए हैं, जिससे हरकी पौड़ी व आसपास के बाजारों में रात को भी काफी रौनक देखने को मिल रही है.
फाल्गुन मास में पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्त्व है. इस दौरान भले ही सावन की तुलना में कम शिवभक्त कांवड़िये हरिद्वार आते हैं लेकिन फिर भी इनके आगमन से धर्मनगरी गुंजायमान रहती है. भक्ति की धुन में लीन कांवड़ियों की जुबां पर बम-बम भोले के जयकारे पूरे शहर में साफ सुने जाते हैं. रात की कड़कड़ाती ठंड में भी धर्मनगरी का नजारा एकदम जुदा है. दूर-दूर से हरिद्वार आ रहे कांवड़िए जहां ठंड के चलते दिन में पैदल सफर कर रहे हैं. वहीं, रात में गंगा तटों पर भोले के भजनों पर जमकर थिरक रहे हैं. इसे आस्था व श्रद्धा ही कहेंगे की इस हाड़कंपा देने वाली सर्दी में भी भोले के भक्तों का जोश देखने लायक है.
साल में दो बार पड़ने वाली महाशिवरात्रि पर भोले के भक्त हरिद्वार से गंगा जल भरकर अपने अपने गंतव्यों की ओर जाते हैं. हर किसी की जुबां पर भोले के जयकारे होते हैं. इन कांवड़ियों की आमद से वीरान पड़े बाजार भी गुलजार नजर आते हैं. ये नजारा दिन से अधिक रात में आने वाले कांवड़ियों को अधिक मंत्रमुग्ध करता है. रंग बिरंगी रोशनी में सराबोर हरकी पैड़ी की सुंदरता देखते ही बनती है. यही कारण है की थके होने के बावजूद कांवड़िए रात में भी हरकी पैड़ी और इसके आसपास के बाजारों में घूम यहां की सुंदरता का पूरा लुत्फ उठाते हैं.
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