हरिद्वारः वैसे तो भारत देश में कई जाने-माने साधु हैं. लेकिन गोल्डन बाबा अपनी एक अलग ही पहचान रखते थे. एक अलग ही जलवा हुआ करता था गोल्डन बाबा का. बहुत कम लोग जानते थे कि उनका असली ना सुधीर कुमार मक्कड़ था. पूर्वी दिल्ली स्थित गांधी नगर के रहने वाले सुधीर कुमार मक्कड़ उर्फ गोल्डन बाबा ने लंबी बीमारी के बाद दिल्ली एम्स में आखिरी सांस ली. आज हम गोल्डन बाबा के कुछ अनछुए पहलुओं पर बात कर रहे हैं.
सुधीर कुमार मक्कड़ उर्फ गोल्डन बाबा पहले बाबा न होकर एक व्यापारी थे. पूर्वी दिल्ली के पुराने हिस्ट्रीशीटर भी रह चुके थे सुधीर कुमार. उन्होंने खुद माना था उनका सन्यास धारण करने का कारण भी यही था. दरसल सुधीर कुमार पहले पूर्वी दिल्ली के गांधीनगर इलाके में रहते थे. वहीं, उनका कपड़ों का अच्छा कारोबार था. उससे पहले सुधीर कुमार मामूली से दर्जी हुआ करते थे. उसके बाद वे प्रॉपर्टी डीलिंग के धंधे में आए.
लेकिन कहते हैं न कि नियती जो होती है वो आपके लिए विधाता ने पहले ही लिखी होती है. एक दिन अचानक से सुधीर कुमार हरिद्वार पहुंचे और संयास लेकर सुधीर कुमार से गोल्डन बाबा बन गए. उनका अपने शरीर पर 10 से 12 किलो वजनी सोना पहनना हर किसी की आंखो पर चढ़ा और धीरे-धीरे गोल्डन बाबा हर किसी की जुबान पर आ गए. कुछ वक्त बाद गोल्डन बाबा को जूना अखाड़े का श्रीमंत बनाया गया.