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आईआईटी रुड़की में विकसित किया जाएगा 'आईहब', ऐसे करेगा काम

'आईहब' नाम का यह केन्द्र 356 मूलभूत प्रौद्योगिकियों के लिए वन-स्टॉप साॅल्यूशन का काम करेगा. अगले पांच वर्षों के लिए मंजूर 135 करोड़ रुपये में से 7.25 करोड़ रुपये पहले ही जारी किए जा चुके हैं.

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IIT Roorkee को मिला 135 करोड़ का अनुदान

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Published : Sep 22, 2020, 5:05 PM IST

रुड़की: देश की नामचीन संस्थान आईआईटी रुड़की में एक टेक्नोलॉजी हब स्थापित किया जाएगा. जिसको 'आईहब' का नाम दिया गया है. बताया गया है कि 135 करोड़ की लागत से इस हब का निर्माण होगा. जिसमें तमाम तरह की सुविधाएं और छात्रों को तकनीकी के लिए तमाम इंतजाम होंगे.

दरअसल, रुड़की भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान को जल्द ही नेशनल मिशन ऑन इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम (एनएम-आईसीपीएस) के तहत एक टेक्नोलॉजी हब बनाया जाएगा. यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान कर स्थापित किए जा रहे 25 केंद्रों में से एक है. 'आईहब' नाम का यह केन्द्र 356 मूलभूत प्रौद्योगिकियों के लिए वन-स्टॉप साॅल्यूशन का काम करेगा. अगले पांच वर्षों के लिए मंजूर 135 करोड़ रुपये में से 7.25 करोड़ रुपये पहले ही जारी किए जा चुके हैं.

बता दें कि हब में सात एप्लिकेशन डोमेन-हेल्थ रिसर्च, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स, न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी, टेलिकम्यूनिकेशन और एटॉमिक एनर्जी,डिवाइस टेक्नोलॉजी एंड मटीरियल, प्रोजेक्ट्स पर फोकस करेगा.

आईआईटी रुड़की के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रो. सुदेब दास गुप्ता ने कहा कि साइबर-फिजिकल सिस्टम उन्नत तकनीकों का समावेश है. जो उद्योग-4.0 की चुनौतियों के समाधान के लिए काम करेगा. यह नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने वाले तंत्र का भी निर्माण करेगा. यह पहल हमें एक नए भारत के निर्माण का अवसर प्रदान करेगी.

हब स्टार्ट-अप के ग्रोथ में सहयोग के साथ ही उत्पादों, प्रकाशनों, बौद्धिक संपदाओं, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जैसी सुविधाएं भी प्रदान करेगा. यह रोजगार के कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष अवसरों को पैदा करेगा. अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए यह वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी, टोक्यो इंस्टीट्यूट ऑफ जापान, कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, मलेशिया, सेंट्रल साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स ऑर्गनाइजेशन, चंडीगढ़ जैसे संस्थानों के साथ-साथ राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग और औद्योगिक भागीदारी की संभावनाओं का पता लगाने का काम भी करेगा.
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आईआईटी के प्रोफेसर ए.के चतुर्वेदी ने बताया कि साइबर-फिजिकल सिस्टम्स (सीपीएस) उस इंजिनीयर्ड सिस्टम का एक नया समूह है. जो एक डायनामिक वातावरण में संगणना और भौतिक प्रक्रियाओं को एकीकृत करता है. सीपीएस में साइबरनेटिक्स, मेकाट्रॉनिक्स, डिजाइन और एंबेडेड सिस्टम, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) बिग डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और कई अन्य प्रौद्योगिकी क्षेत्र शामिल हैं.

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भारत में सीपीएस प्रौद्योगिकी के प्रसार में तेजी लाने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने एनएम-आईसीपीएस की स्थापना की है. एनएम-आईसीपीएस का उद्देश्य उक्त लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक मजबूत नींव का निर्माण करना है.

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