रुड़की: आईआईटी रुड़की के एक प्रोफेसर ने पारंपरिक चरखे की उपयोगिता को आसान बानने के लिए अपग्रेड चरखा तैयार किया है. इसमें इलेक्ट्रिक मोटर, मोडिफाइड फ्लायर और स्पीड कंट्रोलर का प्रयोग किया गया है. साथ ही बॉबिन के लैटरल मोशन पर भी काम किया है. आईआईटी प्रो. आरपी सैनी के मुताबिक उनके द्वारा तैयार किए गए इस चरखे से पहाड़ के काश्तकारों को लाभ मिलेगा.
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आईआईटी प्रो. आरपी सैनी के मुताबिक उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों के लोगों की आमदनी का मुख्य जरिया ऊन बेचना है. इन लोगों के सामने पारंपरिक चरखे से ऊन तैयार करना काफी मुश्किल था. इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने पारंपरिक चरखे को अपग्रेड किया है.
प्रो. सैनी के मुताबिक उनके द्वारा तैयार किए गए बागेश्वरी चरखे से एक घंटे में लगभग 200 ग्राम ऊन के रेशे तैयार किये जा सकेंगे. जोकि पारंपरिक चरखे से दो गुना से भी ज्यादा ऊन का उत्पादन कर सकेंगे.