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टिहरी झील में फ्लोटिंग हटों का वेस्ट डाले जाने का मामला, सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ HC - उत्तराखंड हाईकोर्ट

Uttarakhand High Court सोमवार आठ जनवरी को टिहरी झील में फ्लोटिंग हटों का वेस्ट डाले जाने के मामले पर उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान राज्य सरकार व राज्य प्रदूषण बोर्ड की तरफ से अपना जवाब भी पेश किया गया, लेकिन राज्य सरकार व राज्य प्रदूषण बोर्ड के जवाब से हाईकोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 8, 2024, 9:04 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने टिहरी झील में फ्लोटिंग हटों व फ्लोटिंग रेस्टोरेंट द्वारा मांसाहारी भोजन व मलमूत्र डाले जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने सुनाई करते हुए राज्य सरकार व राज्य प्रदूषण बोर्ड से 22 फरवरी तक विस्तृत जवाब पेश करने को कहा है.

आज सोमवार आठ जनवरी की सुनवाई पर कोर्ट ने राज्य सरकार व पीसीबी की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हुई, जिसपर कोर्ट ने उनसे 22 फरवरी तक विस्तृत शपथपत्र पेश करने को कहा है. मामले के अनुसार नवीन सिंह राणा स्वर्गआश्रम जिला पौड़ी गढ़वाल ने जनहित याचिका दायर की थी. नवीन सिंह राणा ने अपनी जनहित याचिका में कहा था कि राज्य सरकार ने प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टिहरी झील में गंगा पर फ्लोटिंग हट व फ्लोटिंग रेस्टोरेंट चलाने की अनुमति दी है, लेकिन इन अनुमति का गलत तरीके से इस्तेमाम किया जा रहा है.
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जनहित याचिका के जरिए नवीन सिंह राणा का आरोप है कि फ्लोटिंग हटों व फ्लोटिंग रेस्टोरेंट का मांसाहारी भोजन और वेस्ट पवित्र गंगा में डाला जा रहा है. यहीं नहीं फ्लोटिंग हटों का मलमूत्र भी सीधे गंगा में ही डाला जा रहा है. जनहित याचिका में यह भी कहा है कि राज्य सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के इनको जो लाइसेंस दिया गया है, वो करोड़ों सनातनियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है. क्योंकि गंगा में नहाने से पहले उसकी पूजा करते है और चप्पल व जूते उतारकर स्नान करते है. वहीं फ्लोटिंग हट व रेस्टोरेंट मां गंगा को अपवित्र कर रहे है.

याचिकाकर्ता ने इसपर रोक लगाए जाने को लेकर जिला अधिकारी, केंद्र सरकार व मुख्य सचिव को पत्र भेजा है, लेकिन इस पर कोई कार्रवाही नहीं हुई, जिसको लेकर उन्हें न्यायलय की शरण में आना पड़ा.

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