हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में इन दिनों कूड़े का अंबार लगा हुआ है. कूड़ा निस्तारण के लिए हरिद्वार मेयर और पार्षदों के बीच जंग छिड़ी हुई है. हरिद्वार नगर निगम द्वारा केआरएल कंपनी जिसे हरिद्वार में कूड़ा उठाने का ठेका दिया गया है, उस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. कंपनी कहना है कि उसके पास संसाधनों की कमी है. जिस वजह से कूड़ा उठाने में देरी होती है. साथ ही 0कहा कि कूड़ा उठाने के लिए मिलने वाला भुगतान भी अन्य नगर निगमों से बहुत कम है.
हरिद्वार में लगे कूड़े के ढेर केआरएल कंपनी के डायरेक्टर सुखबीर सिंह का कहना है कि उन्होंने नगर निगम से कहा है कि कंपनी के पास संसाधनों की कमी है. उन्होंने निगम से संसाधनों को मुहैय्या का कराने की मांग की, लेकिन निगम ने अनसुना कर दिया.
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सुखबीर सिंह ने कहा कि केआरएल कंपनी को प्रति कुंतल कूड़ा उठाने की टिपिंग फीस भी उत्तराखंड की अन्य नगर निगमों से काफी कम है. जहां अन्य नगर निगमों में प्रति कुंतल पर 1200 से 1300 रुपए मिलते हैं. वहीं, केआरएल को महज 347 रुपये मिलते हैं. बीते कुछ दिनों के लिए जब पैसे बढ़ाने के लिए केआरएल कंपनी के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे, तो पूरे शहर में कूड़े का अंबार लग गया था.
बता दें कि केआरएल कंपनी के पास केवल 200 कर्मचारी ही हैं. वहीं, नगर निगम हरिद्वार के पास 550 गैर-सरकारी कर्मचारी और नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत घाटों की सफाई के लिए अलग से 300 कर्मचारी नियुक्त हैं. लेकिन फिर भी हरिद्वार में जब केआरएल के 200 कर्मचारी हड़ताल पर चले जाते हैं, तो पूरे हरिद्वार में कचरे का ढेर लग जाता है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर केआरएल कंपनी काम नहीं करेगी तो क्या हरिद्वार में कूड़ा नहीं उठेगा.