हरिद्वार:धर्मनगरी हरिद्वार में छोटे से लेकर बड़े तक सैकड़ों की संख्या में होटल और गेस्ट हाउस मौजूद हैं, जो पर्यटकों और विशिष्ट और अति विशिष्ट लोगों की पहली पसंद बन चुके हैं. ऐसे में राजाजी टाइगर रिजर्व में पहाड़ी पर स्थिति लोक निर्माण विभाग का गेस्ट हाउस विभागीय अनदेखी के कारण छूमिल होता जा रहा है. अब से करीब 50 साल पहले तक यह गेस्ट हाउस हरिद्वार आने वाले तमाम विशिष्ट और अति विशिष्ट लोगों की पहली पसंद हुआ करता था. लेकिन अब यह गेस्ट हाउस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है.
बता दें, अब से करीब 150 साल पहले टिहरी रियासत के तत्कालीन महाराज ने हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड के बिल्कुल ऊपर पहाड़ी पर एक भव्य आवास का निर्माण कराया था. बताया जाता है कि मन को सुकून देने वाले इस स्थान पर राजा कभी कभार अपने परिजनों के साथ आकर रहा करते थे. उस समय इस स्थान तक पहुंचने के लिए सिर्फ सीढ़ियां ही एकमात्र विकल्प थीं. इस गेस्ट हाउस की देखरेख हमेशा राजा के सेवक करते थे.
अंग्रेजों के शासन काल में धीरे-धीरे टिहरी रियासत के राजा का इस ओर से ध्यान हट गया. यह मनोहारी स्थान वीरान बनता चला गया, जिसके बाद इन पहाड़ियों में आकर बसे लोगों ने इस स्थान पर कब्जा कर लिया. देश आजाद होने के बाद सरकार की नजर इस स्थान पर गई. कई साल मुकदमा चलने के बाद यह स्थान सरकार के अधीन आ गया. साल 1970 के दशक में हिल बाईपास का निर्माण होने के दौरान तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने पीडब्ल्यूडी के इस गेस्ट हाउस का जीर्णोद्धार कराया, जिसके बाद हरिद्वार आने वाले हर आदमी की यह पहली पसंद बन गया.
हरिद्वार में जो भी वीआईपी या वीवीआईपी आया और वह रात में हरिद्वार रुका तो उसने इसी स्थान पर रुकने की इच्छा जताई. पीछे जंगल और आगे बहती गंगा के साथ इस गेस्ट हाउस पर खड़े होकर कई किलोमीटर तक का नजारा साफ नजर आता है. इतना ही नहीं.इस गेस्ट हाउस को बनाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि यहां से हिमालय की चोटियां भी साफ नजर आएं, लेकिन उत्तराखंड बनने के बाद से इसकी ओर कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया.
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राजाजी टाइगर रिजर्व को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से इस गेस्ट हाउस तक वाहनों के आने का रास्ता भी बंद हो गया. अब इस गेस्ट हाउस तक पहुंचने के लिए किसी भी पर्यटक को करीब 150 सीढ़ियों की खड़ी चढ़ाई करके आना पड़ता है. यही कारण है कि लोग अब यहां का रुख कम ही करते हैं. यहां सिर्फ वही लोग आते हैं, जो सीढ़ियां चढ़ने में सक्षम हैं.
12 साल से है वीरान:2010 के महाकुंभ के दौरान यहां पर जाने की पुख्ता व्यवस्था थी. उस समय तक राजाजी टाइगर रिजर्व में बनाए गए हिल बाईपास मार्ग से होकर दोपहिया और चौपहिया वाहन आसानी से इस गेस्ट हाउस तक पहुंच जाते थे, जिसके चलते पर्यटकों को भी किसी तरह की कोई ज्यादा दिक्कत नहीं होती थी. लेकिन साल 2010 के बाद से पार्क क्षेत्र में प्रवेश को वर्जित किए जाने के बाद से अब यहां आने वालों की संख्या गिनती की रह गई है.
कार जाने का था रास्ता:साल 1970 के दशक में जिस समय हिल बाईपास का निर्माण कराया गया, उस समय इस गेस्ट हाउस के जीर्णोद्धार के साथ यहां तक सुरक्षित जाने के लिए सरकार ने पहाड़ को काटकर सड़क बनवाई थी, जो इस गेस्ट हाउस के पिछले इलाके तक जाती है. उस समय इस गेस्ट हाउस का मुख्य द्वार भी यहीं पर बनाया गया था, जहां से आसानी से पर्यटक गेस्ट हाउस तक पहुंच जाया करते थे.