हरिद्वारःचंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर दुनिया में इतिहास रच दिया है. विक्रम लैंडर की सफल लैंडिंग के पीछे आईएसआरओ (ISRO) के हजारों वैज्ञानिकों की तीन साल 10 माह की दिन रात की कड़ी मेहनत लगी है. चंद्रयान-3 की सफलता में हरिद्वार के वैज्ञानिक दंपत्ति जोड़े का भी योगदान है. हरिद्वार के वैज्ञानिक नमन चौहान 2016 से आईएसआरओ में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. नमन की पत्नी वैज्ञानिक एकता चौहान 2017 से आईएसआरओ से जुड़ी हुई हैं.
हरिद्वार के नमन चौहान और पत्नी एकता चौहान ने चंद्रयान-3 में लगे विभिन्न सर्किट की टेस्टिंग में सहयोग दिया है. साथ ही सर्किट का विश्लेषण भी दोनों ने साथ में किया है. नमन इसरों में साइंटिस्ट इंजीनियर एसडी के पद पर तैनात हैं. जबकि नमन की पत्नी एकता भी उनके विभाग में कार्यरत हैं.
नमन की एकता से मुलाकात जयपुर में एमटेक की पढ़ाई के दौरान हुई थी. ईटीवी भारत से फोन पर बात करते हुए नमन चौहान ने बताया कि साल 2019 में चंद्रयान-2 के असफल होने के बाद से ही इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 पर कार्य करना शुरू कर दिया था. वैज्ञानिकों की टीम ने तीन साल 10 माह दिन रात कड़ी मेहनत की और सफल हुए. इसरो में आगामी दिनों के लिए आदित्य यान, गगन यान, चंद्रयान-4, शुक्रयान आदि पर कार्य गतिमान है. मंगल ग्रह पर लैंडिंग की योजना है. शुक्र ग्रह पर शुक्रयान भेजने के लिए वैज्ञानिक कड़ी मेहनत कर रहे हैं. अगले हफ्ते दो सितंबर को आदित्य यान सूर्य के लिए लॉन्च किया जाएगा.
हरिद्वार से की है नमन ने पढ़ाई: वैज्ञानिक नमन चौहान ने केंद्रीय विद्यालय सेक्टर चार बीएचईएल से 12वीं तक पढ़ाई की. 12वीं के बाद नमन बीटेक करने पंतनगर चले गए. पंतनगर में पढ़ते हुए टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में कैंपस सिलेक्शन हुआ. टाटा की नौकरी छोड़ कर नमन ने जयपुर से एमटेक की पढ़ाई शुरू की. एमटेक की पढ़ाई के दौरान नमन का चयन इसरो में हो गया. नमन बताते हैं कि उनके हरिद्वार से काफी यादें जुड़ी हुई हैं और वह जल्द ही हरिद्वार आएंगे.
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बेटी के नाम का रोचक किस्सा: ईटीवी भारत से बात करते हुए नमन ने बताया कि एकता से उनकी पहली मुलाकात एमटेक की पढ़ाई के दौरान जयपुर में हुई. एकता मूल रूप से बरेली की रहने वाली हैं. पढ़ाई के दौरान ही दोनों ने शादी कर ली. दोनों की 11 माह की बेटी भी है. उन्होंने बताया कि बेटी का नाम उन्होंने पाई रखा है. इस नाम के भी पीछे एक कारण है. दरअसल, जन्म के समय बेटी का वजन 3.14 किलो था और मैथ्स में 'पाई' की वैल्यू 3.14 होती है.
नमन चौहान और एकता चौहान ने अपनी बेटी का नाम 'पाई' रखा है. इसके पीछे एक खास कारण है.
बड़े भाई का रहा सहयोग: नमन के घर में माता गीता देवी, भाई रवीश चौहान, बहन रिचा चौहान, भाभी शिवानी चौहान, भतीजा अर्जित और अक्षत है. नमन के पिता राकेश चौहान का देहांत हो चुका है. नमन को बड़े भाई रवीश का हमेशा सहयोग रहा है. हमेशा नमन को अपने बड़े भाई का साथ सभी निर्णय में मिला है.
नमन को उनके बड़े भाई ने हर निर्णय में सहयोग किया है.
इसरो के लिए चाहिए कड़ी मेहनत: नमन चौहान ने बताया कि इसरो में चयन के लिए कड़ी मेहनत की जरूरत है. इसरो की परीक्षा बड़ी कठिन होती है. करीब एक से डेढ़ लाख बच्चों में से सिर्फ 50 बच्चों को चुना जाता है. मेहनत और लगन से ही इसरो के साथ जुड़ सकते हैं.
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