हरिद्वार की कोतवाली बिल्डिंग है खास हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में कई पुरानी इमारतें इस शहर की पौराणिकता को बयां करती हैं. यहां कई ऐसी ब्रिटिश कालीन बिल्डिंग हैं जो आज भी हरिद्वार की पहचान बनी हुई हैं. इनमें से एक हरिद्वार कोतवाली की इमारत भी है जो करीब सवा सौ साल पुरानी है.
हरिद्वार में अंग्रेजों के जमाने की कोतवाली: हरिद्वार नगर कोतवाली की बिल्डिंग प्रदेश के सबसे पुराने पुलिस थानों में से एक है. आजादी से पहले अंग्रेजों ने यहां कोतवाली बनाई थी. तब से यहीं से हरिद्वार की कानून व्यवस्था पर नियंत्रण रखा जा रहा है. हरिद्वार कोतवाली की इमारत की बनावट काफी खास है. एक नजर में ये कोई पुलिस थाना नहीं लगती. 30 कमरों वाली इमारत अंदर और बाहर से आलीशान नजर आती है.
1943 में कोतवाली बनी ये बिल्डिंग: हरिद्वार कोतवाली में लंबे समय तक ड्यूटी कर चुके रिटायर्ड दरोगा आरके त्यागी बताते हैं कि ये इमारत पहले एक धर्मशाला हुआ करती थी. इसे अंग्रेजों ने 1943 के आसपास कोतवाली बना दिया. इससे पहले हरिद्वार कोतवाली मायापुर चौकी जहां पर है, वहां पर हुआ करती थी. बिल्डिंग की बनावट से ही पता लग जाता है की ये कितनी पुरानी बिल्डिंग है. पूरी बिल्डिंग चूने से बनाई गई है. इस बिल्डिंग में सीमेंट का कोई भी उपयोग नहीं किया गया है.
हाथ से बनी ईंटों और चूने से हुआ निर्माण: हाथों के सांचों से बनी ईंटें और चूने की चिनाई से तैयार बिल्डिंग में कई जगहों पर एक सदी पुरानी भवन निर्माण तकनीक के चिन्ह मिलते हैं. हालांकि समय के साथ इमारत के कई हिस्से जर्जर हो रहे हैं. इससे सचेत होकर हरिद्वार पुलिस ने बिल्डिंग को हैरिटेज बिल्डिंग के रूप में संरक्षित करना शुरू कर दिया है. पुलिस ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर बिल्डिंग को बड़े टिन शेड से कवर कर दिया है. इसके अलावा इसके मेंटेनेंस के लिए आगे की प्लानिंग भी की जा रही है.
आजादी की साक्षी है हरिद्वार कोतवाली बिल्डिंग: ब्रिटिश कालीन ये इमारत एक सदी से ज्यादा के कालखंड से कई घटनाओं की साक्षी है. गुलामी से आजादी का प्रशासन, शहीदों की शहादत और कुंभ मेले जैसे कई बड़े धार्मिक आयोजनों की साक्षी हरिद्वार कोतवाली की इमारत को आज धरोहर के रूप में सहेजने की जरूरत है.
ये भी पढ़ें: Yog Divas: 75 आइकॉनिक जगहों में उत्तराखंड के ये तीन हेरिटेज साइट चयनित, केंद्रीय मंत्री करेंगे योग