हरिद्वार:बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है, लेकिन हरिद्वार में इन बच्चों के भविष्य के साथ साथ उनका जीवन भी खतरे में है. ये हम नहीं कह रहे, ये सरकारी स्कूलों की हालात (condition of government schools) बयां कर रही है. जहां ये रोजाना शिक्षा ग्रहण करने आते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हरिद्वार के उन सरकारी स्कूलों की जहां के भवन जर्जर होने के कारण बच्चों के लिए बड़ा खतरा बन गए हैं. कभी भी शिक्षा के ये मंदिर बच्चों की कब्रगाह बन सकते हैं, लेकिन यहां के शिक्षा विभाग को शायद ये नजर नहीं आता.
हरिद्वार के तमाम सरकारी स्कूलों की बिल्डिंग जर्जर (Government school building dilapidated) हालत में है. कहीं छात्र टेंट के नीचे पढ़ने को मजबूर है. तो कहीं खुले आसमान के नीचे. स्कूल के नाम पर भवन तो हैं, लेकिन उनकी हालात इतनी खराब है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. क्योंकि इन भवनों की छत गिरी हुई है. कुछ भवनों की छतों में मोटी-मोटी दरारें आ रखी है.
शिक्षा का अधिकार (Right to Education) को भारत के संविधान में मूलभूत अधिकारों में शामिल किया गया है. सरकार हर साल करोड़ों रुपया शिक्षा के नाम पर खर्च करती है, लेकिन क्या ये शिक्षा मासूम बच्चों की जिंदगी दांव पर लगाकर दी जा रही है. हरिद्वार के कुछ स्कूल के हालात तो कम से कम यही बयां कर रहे हैं. हरिद्वार के ज्वालापुर स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय (Government Primary School at Jwalapur) नंबर 12 के टीचर सुधीर चौबे का कहना है कि हमारे स्कूल की बिल्डिंग जर्जर हालत में है. जिस तरह की सुविधा दी जा रही है, उसी हिसाब से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. क्लास रूम की छत गिरने के कारण बच्चों को बाहर पढ़ाया जाता है.