हरिद्वार: चुनाव की तारीख का ऐलान होते ही उत्तराखंड में आदर्श आचार संहिता प्रभावी हो गई है. इसके बावजूद मुख्य शिक्षा अधिकारी और मुख्य प्रशासनिक अधिकारी द्वारा बैक डेट में अध्यापकों के समायोजन और अशासकीय विद्यालयों में नियुक्ति पत्र तैयार करने का मामला सामने आया है. जिस पर कार्रवाई करते हुए जिलाधिकार विनय शंकर पांडेय ने दोनों के खिलाफ सस्पेंड करने की संस्तुति की है.
बता दें कि छुट्टी के दिन रविवार को मुख्य विकास अधिकारी सौरभ सिंह गहरवार और अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) पीएल शाह ने छापा मारकर मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय में बैक डेट में शिक्षकों के समायोजन और नियुक्ति पत्र संबंधी पत्रावलियां तैयार करने का मामला पकड़ा. दोनों अधिकारियों ने देखा कि कार्यालय खोलकर मुख्य प्रशासनिक अधिकारी जोगेंद्र सिंह राणा ये काम कर रहे हैं. छापे के बाद सभी पत्रावलियों को सील कर दिया गया है. जिसके बाद जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे ने मुख्य शिक्षा अधिकारी विद्याशंकर चतुर्वेदी व मुख्य प्रशासनिक अधिकारी जोगेंद्र सिंह राणा को सस्पेंड करने की सिफारिश की है.
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डीएम विनय शंकर पांडे ने बताया कि, दौलतपुर विद्यालय में आचार संहिता के बावजूद नियम विरुद्ध कार्य की शिकायत मिली थी. शिकायत में बताया गया था कि अशासकीय कॉलेजों में पिछले दिनों इंटरव्यू हुए हैं और अब बैक डेट में नियुक्ति संबंधी पत्रावलियां तैयार की जा रही हैं ताकि नियुक्ति पत्र देकर कॉलेजों में शिक्षक नियुक्ति किए जा सकें. साथ ही ये भी बताया गया कि कुछ अध्यापकों के समायोजन भी किए जा रहे हैं.
मौके पर प्रशासनिक अधिकारी मौजूद मिले और नियुक्ति पत्र बनाये जा रहे थे. सीईओ की संलिप्तता की जांच कराई गई, जिसमें प्रथम दृष्टया उनकी भूमिका संदिग्ध पाई गई. आचार संहिता के बाद भी समायोजन और नियुक्ति कार्य करना बहुत ही गंभीर विषय है. इसलिए दोनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए शिक्षा सचिव और निदेशक को सस्पेंड करने के साथ ही कठोर कार्रवाई करने के लिए पत्र भेज दिया गया है. दरअसल, आचार संहिता लगने के बाद विभागीय स्तर पर कोई ट्रांसफर, समायोजन या नियुक्ति संबंधी काम नहीं हो सकता.