उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह में राज्यपाल गुरमीत सिंह ने होनहारों को सम्मानित किया. हरिद्वारःउत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल रिटायर्ड गुरमीत सिंह ने उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के दसवें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया. कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि के रूप में गुरमीत सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. कार्यक्रम में पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण भी शामिल हुए. राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को उपाधि एवं मेडल प्रदान किए.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल गुरमीत सिंह ने कहा कि संस्कृत एवं संस्कृति के संरक्षण के लिए समर्पित, मां गंगा के पावन तट पर स्थित उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय अत्यंत सराहनीय कार्य कर रहा है. यह प्रसन्नता की बात है कि संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत में ज्ञान को आधुनिक ज्ञान के साथ जोड़कर नई पीढ़ी को प्रशिक्षित कर रहा है.
दीक्षांत समारोह में उपाधि और मेडल प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को विशेष रूप से बधाई देते हुए कहा कि आज का दिन छात्र-छात्राओं के माता-पिता और गुरुजनों के लिए भी उपलब्धि भरा है. जिनके त्याग, संकल्प और समर्पण ने विद्यार्थियों की सफलता का मार्ग प्रशस्त किया है. उन्होंने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि वेद और पुराण का अध्ययन किस प्रकार समाज के लिए अधिक से अधिक उपयोगी हो सकता है, इसका मनन करें.
उन्होंने कहा कि मुझे यह देखकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि आज यहां उपाधि प्राप्त करने वालों में छात्राओं की संख्या अधिक है. यह दर्शाता है कि सरकार की 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के संकल्प की सिद्धि के रूप में परिलक्षित हो रही है. राज्यपाल ने कहा कि हमारे वेदों में सभी प्रकार के धन में विद्या रूपी धन को सर्वश्रेष्ठ माना गया है, जो बांटने से बढ़ता है. इसे कोई चुरा नहीं सकता. विद्या से विहीन मनुष्य इस पृथ्वी पर पशु के समान होता है.
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