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आदर्श आयुर्वेदिक फार्मेसी के 75 साल पूरे, राज्यपाल ने कहा जड़ों से जोड़ती हैं जड़ी बूटियां

उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह ने आदर्श आयुर्वेदिक फार्मेसी के 75 साल पूरे होने पर कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने आयुर्वेद, संस्कृत और योग पर अपने विचार रखे. वहीं, तीनों के महत्व के बारे में भी बताया.

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Published : Aug 12, 2022, 5:19 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह शुक्रवार को हरिद्वार में थे. यहां उन्होंने हरिद्वार निर्मल छावनी स्थित आदर्श आयुर्वेदिक फार्मेसी के 75 साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया. कार्यक्रम में राज्यपाल गुरमीत सिंह ने आयुर्वेद, योग, गौ और गंगा संरक्षण के लिए विशिष्ट कार्य करने वाले लोगों और शहीदों के परिवारों को सम्मानित किया.

इस दौरान राज्यपाल गुरमीत सिंह ने कहा कि यह एक संयोग है कि एक ओर हम आज़ादी के 75 साल पूरे होने पर अमृत महोत्सव मना रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ आदर्श आयुर्वेदिक फार्मेसी भी अपने 75 साल का सफर पूरा कर चुकी है. आयुर्वेद ने कोरोना जैसे बीमारियों का डटकर मुकाबला किया. इस कार्यक्रम में संत, सैनिक, सेवक, सिक्ख और समाज एक साथ नज़र आ रहे हैं.
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जड़ों से जोड़ती हैं जड़ी-बूटियां: राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि जड़ी बूटियां हमें हमारी जड़ों, सभ्यता, संस्कृति और इतिहास से जोड़ती हैं. हम सब की जिम्मेदारी है कि आयुर्वेद को पूरी मानवता से साझा कर भारत को विश्वगुरु बनाने की दिशा में काम करें. आयुर्वेद हमारी भारतीय परम्परा की पौराणिक धरोहर है, तो योग हमारी सनातन संस्कृति का एक अभिन्न अंग है. हमारे पूर्वज आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक संसाधनों से उपचार की पद्धतियों को ही अपनाते थे और वे लोग दीर्घायु होते थे.

हरिद्वार की धरती अद्भुत है: राज्यपाल ने कहा कि हरिद्वार में योग, आयुर्वेद, मर्म चिकित्सा और संस्कृत विद्या के प्रसार में अनेक महत्वपूर्ण संस्थान अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इसके साथ ही भारतीय बौद्धिक सम्पदा को संजोए रखने और इसे आगे बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं. इसी दिशा में यह आदर्श आयुर्वेदिक फार्मेसी भी पिछले 75 वर्षों से आयुर्वेद के प्रसार में अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दे रही है.
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उन्होंने कहा कि हरिद्वार तो योग, आयुर्वेद और संस्कृत विद्या का त्रिवेणी संगम है, लेकिन मैं अनुभव कर रहा हूं कि ये तीनों धाराएं अलग-अलग दिशाओं में बह रही हैं. जबकि सच यह है कि ये तीनों विधाएं एक दूसरे के बिना अधूरी और अपूर्ण हैं. संस्कृत के बिना आप योग और आयुर्वेद की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. इसलिए योग, आयुर्वेद और संस्कृत को एक साथ जोड़कर आगे बढ़ाना होगा.

भारत की सभ्यता और ज्ञान का प्रतीक है संस्कृत: राज्यपाल ने कहा कि आयुर्वेद और संस्कृत का आपस में अनोखा मेल है. संस्कृत भाषा भारत की सभ्यता, संस्कृति और ज्ञान की प्रतीक है. संस्कृत भाषा हमें अपनी जड़ों से जोड़ती है और इसमें ज्ञान का बड़ा भंडार है. राज्यपाल ने कहा कि गुरुग्रंथ साहिब में भी पहला शब्द “एकम” है, जिसका अर्थ है पूरा ब्रह्मांड एक है और एक से एक मिलकर पूरे संसार को बनाते हैं.

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