हरिद्वार: पतंजलि विश्वविद्यालय की जमीन पर बने मकानों को लेकर मामला गर्म हो गया है. मकान मालिकों ने पतंजलि योगपीठ (Patanjali Yogpeeth) पर उनके घरों की बिजली, पानी और सीवरेज के कनेक्शन काटने का आरोप लगाया है. मकान मालिकों का आरोप है कि 2010 में उन्होंने गीतांजलि रेजिडेंसी कॉलोनी में मकान खरीदे थे. जिसके बाद कॉलोनी को कॉलोनीनाइजरों ने बिना मकान मालिकों को जानकारी दिए जमीन को पतंजलि योगपीठ को दे दिया गया. जिसके बाद से पतंजलि योगपीठ उन्हें लगातार मकान छोड़ने को विवश कर रहा है.
पतंजलि योगपीठ के समीप ग्राम बहादरपुर सैनी फेस वन के साथ में बनी गीतांजलि रेजिडेंसी नाम की एक कॉलोनी थी. जिसमें आकाशगंगा डेवलपर्स द्वारा 2005 से 2015 तक मकान बनाया गया. जिसके बाद कुछ लोगों ने 2010 में कॉलोनी में मकान खरीदे. जिसके बाद आकाशगंगा डेवलपर्स ने पूरी कॉलोनी को पतंजलि योगपीठ को बेच दिया. लेकिन जो मकान मालिक यहां पर डटे रहे, पतंजलि योगपीठ ने 2017 में उनके घरों की बिजली, पानी और सीवरेज का कनेक्शन काट दिया.
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वहीं, कुछ मकान मालिकों और किरायेदारों को डरा धमका कर यहां से जाने के लिए मजबूर किया. जबकि कुछ मकान मालिकों से औने-पौने दामों में मकान खरीद लिया. जो लोग यहां बचे उन्होंने अपने घरों को बचाने के लिए कोर्ट की शरण ली. अपने घरों को वापस पाने के लिए लड़ने वालों में सतीश सेठी, नवीन शेट्टी, केशव जुयाल, अनिलय यादव, राशि मलिक शामिल है.
इन लोगों ने आज प्रेस क्लब हरिद्वार में प्रेस वार्ता कर मामले में सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की है. साथ ही उनके मकान वापस दिलाने की बात गुहार लगाई है. पीड़ित पक्ष के लोगों ने आरोप लगाया कि पतंजलि योगपीठ द्वारा बनाया गया विश्वविद्यालय बिना किसी नक्शे के बना है. जिस पर एचआरडीए ने 6 करोड़ 92 लाख की पेनाल्टी लगाई है. जो यह सिद्ध करती है कि पतंजलि योगपीठ विश्वविद्यालय का नक्शा एचआरडी द्वारा पास नहीं है.
मकान मालिकों ने आरोप लगाया कि पतंजलि विश्वविद्यालय द्वारा उनके मकानों को चारों ओर से बड़ी दीवारों द्वारा दबा दिया गया है. उनके बिजली, पानी और सीवर के कनेक्शन काट दिए गए हैं. मामला उच्च न्यायालय नैनीताल में भी चल रहा है, लेकिन अभी तक न्यायालय में कोई सुनवाई नहीं हुई है.