SDM और तहसीलदार बनीं छात्राएं. लक्सरःराष्ट्रीय बालिका दिवस पर चार बालिकाओं ने लक्सर एसडीएम और तहसीलदार का पदभार संभाला. इस दौरान उन्होंने फरियादियों की समस्याएं भी सुनीं. साथ ही तहसील के कामकाज की जानकारियां भी दी. हालांकि, यह सांकेतिक रहा, लेकिन इसका मकसद बालिकाओं के सशक्तिकरण को लेकर जागरूकता फैलाना था.
दरअसल, राष्ट्रीय बालिका दिवस पर रिलेक्सो इंडिया और भुवनेश्वरी सामाजिक संस्था ने प्रशासन के सहयोग से लक्सर तहसील मुख्यालय में एक विशेष गोष्ठी का आयोजन किया. जिसमें क्षेत्र के चार विद्यालयों से चुनकर आए चार छात्राओं को सांकेतिक एसडीएम और तहसीलदार बनाया गया.
इस मौके पर सांकेतिक रूप से बनाई गईं एसडीएम और तहसीलदारों ने दोनों अधिकारियों के कोर्ट एवं चैंबरों में जाकर प्रशासनिक कामकाज किस तरह से किया जाता है? फरियादियों की शिकायतों के निस्तारण में ज्यादातर किस तरह से कानूनी बारीकियों को ध्यान रखकर अपने विवेक का कैसे इस्तेमाल करते हैं? यह सब जानने की कोशिश भी की.
वहीं, गोष्ठी में छात्रों ने महिला सशक्तिकरण व बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को बढ़ावा दिए जाने को लेकर कविताएं पेश की. साथ ही बिगड़ते लिंगानुपात में सुधार किए जाने संबंधी नाटक का मंचन भी किया. छात्रों की प्रस्तुति ने जमकर तालियां बटोरी तो अधिकारियों ने भी उनके कार्यक्रम को जमकर सराहा.
लक्सर एसडीएम गोपाल राम बिनवाल और तहसीलदार चंद्रशेखर वशिष्ठ ने कहा कि सामाजिक संस्थाओं की पहल सराहनीय है. बालिकाओं को सांकेतिक रूप से एसडीएम और तहसीलदार बनाए जाने से जहां एक तरफ मातृ शक्ति का मान बढ़ा है तो वहीं इससे बालिकाओं में आगे बढ़ने, देश और समाज हित में विशेष काम करने का जज्बा भी बढ़ेगा.
गौर हो कि हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसकी शुरुआत साल 2008 में लड़कियों के सामने आने वाली असमानताओं के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से की गई थी. आज इस मौके पर देहरादून में भी 'खेलों में महिलाओं की भागीदारी' पर सेमिनार आयोजित की गई. जिसमें खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया.
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