हरिद्वार: उत्तरी खंड गंगनहर की साफ सफाई और अन्य कार्यों को पूरा करने के लिए 9 अक्टूबर की मध्यरात्रि से 27 अक्टूबर की मध्य रात्रि तक नहर को बंद किया गया है. 17 दिनों की बंदी के चलते हरिद्वार गंगा स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं और स्थानीय व्यापारियों को खासा नुकसान होगा. वहीं, दिल्ली और एनसीआर में भी इसका असर देखने को मिलेगा.
गंगनहर को 17 दिनों के लिए किया गया बंद. तीर्थ पुरोहित के अनुसार, साफ-सफाई और अन्य जरूरी कार्यों की पूर्ति के लिए गंगा नहर को बंद करना जरूरी होता है. लेकिन, नहर बंदी के दौरान हर की पैड़ी स्थित ब्रह्मकुंड में पर्याप्त मात्रा में जलापूर्ति की जाए, जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ न हो सके.
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हरिद्वार तीर्थ पुरोहित समाज के उज्जवल पंडित ने बताया कि गंग नहर बंदी में अगर यूपी सिंचाई विभाग द्वारा पर्याप्त मात्रा में जल हर की पैड़ी में नहीं छोड़ा जाता है तो हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित इसका जवाब सिंचाई विभाग को उसी की भाषा में देंगे. वहीं, इस मामले में स्वामी हरी चेतनानंद महाराज ने बताया कि हम उत्तर प्रदेश सरकार से निवेदन करते हैं कि नहर बंदी के दौरान गंगा में आचमन और डुबकी लगाने लायक जल छोड़ा जाए, जिससे श्रद्धालु यहां आते रहे. ऐसा ना होने पर तीर्थयात्री हरिद्वार में आना अभी छोड़ देंगे.
उत्तराखंड सरकार में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि इस समय वार्षिक बंदी के दौरान गंगा नहर को बंद किया जाता है. इस बंदी के दौरान आगामी कुम्भ मेले को दृष्टिगत रखते हुए महत्वपूर्ण काम रुके हुए हैं, उनको शुरू किया जाएगा. गंगा बंदी के दौरान जो कार्य अपर कैनाल में किए जाने हैं. मुख्य रूप से घाटों के निर्माण के कार्य और कई अन्य कार्य हैं, जो इस दौरान किए जाने हैं. वहीं, हरकी पैड़ी में पर्याप्त मात्रा में जल छोड़े जाने के लिए निर्देश दिए गए हैं.