हरिद्वार:कोतवाली ज्वालापुर क्षेत्र में एक बार फिर मुस्लिम फंड के नाम पर लोगों को करोड़ों का चूना लगाने का मामला सामने आया है. बीते 15 दिनों से मुस्लिम फंड के संचालक के कार्यालय पर ताला लटका हुआ है और आरोपी फरार चल रहा है. फिलहाल मामले में किसी ने भी पुलिस को शिकायत नहीं की है.
आरोप है कि 15 दिन पहले तक इस मुस्लिम फंड का संचालक लोगों को उनके पैसे धीरे-धीरे कर लौटा रहा था, लेकिन जब लोगों का दबाव ज्यादा बना तो वह कार्यालय पर ताला लगाकर फरार हो गया. बता दें कि इससे पहले कबीर म्यूचुअल बैनिफिट निधि (मुस्लिम फंड) पर भी धोखाधड़ी का आरोप लगा था, अभी पुलिस इस मामले की जांच भी पूरी नहीं कर पाई थी. अब इलाके के दूसरे मुस्लिम फंड के कार्यालय पर भी ताला लटक गया है. खाताधारक रोजाना चक्कर काट रहे हैं. दूसरे मुस्लिम फंड के भी भागने की चर्चाएं अब जोरों पर हैं. जिससे खाताधारकों की धड़कने बढ़ गई हैं.
वहीं, बीती 22 जनवरी को भी एक मुस्लिम फंड संचालक अब्दुल रज्जाक खाताधारकों के करोड़ों रुपये लेकर भूमिगत हो गया था. पुलिस ने आरोपी अब्दुल रज्जाक और उसके दो साझेदार मशरूर एवं नसीम उर्फ मुन्ना को गिरफ्तार कर लिया था. तीनों आरोपियों ने संभल निवासी अंसार के नाम का खुलासा करते हुए बताया था कि विदेश से 100 करोड़ रुपये की फंडिंग कराने और एक हजार करोड़ की पुरानी करेंसी बदलवाने का अंसार ने झांसा दिया था.
रज्जाक से करीब साढ़े पांच करोड़ की ठगी का आरोप अंसार पर लगने के बाद पुलिस उसकी तलाश में जुटी है, लेकिन अभी तक वह हाथ नहीं आ सका है. दूसरे गुलशन-ए-हिंद निधि लिमिटेड (मुस्लिम फंड) से पैसे निकालने के बाद लोगों की भीड़ जुटने लगी थी. कुछ दिन तक तो खाताधारकों की रकम लौटा दी गई. बाद में पैसे न होने के कारण तीन दिन के लिए कार्यालय बंद रखने का नोटिस चस्पा कर दिया गया था, लेकिन दो हफ्ते से भी अधिक समय गुजरने के बाद कार्यालय पर ताला लटका है.
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जिससे फंड में रुपये जमा करने वाले खातेदारों की धड़कने भी बढ़ गई हैं.खाताधारक रोजाना कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं. वहां ताला लटका होने से अपनी रकम डूबने को लेकर आशंकित हैं. चर्चाएं हैं कि दूसरा मुस्लिम फंड भी खातेधारकों के रुपये लेकर रफूचक्कर हो गया है. ज्वालापुर इंस्पेक्टर आरके सकलानी ने बताया इस संबंध में किसी तरह की शिकायत नहीं मिली है. इसकी जानकारी ली जाएगी.
गुलशन-ए-हिंद निधि में करीब नौ हजार लोगों के खाते हैं. इस हिसाब से करोड़ों रुपये की रकम जमा है. कुछ दिन खाताधारकों की रकम लौटाने के बाद कैश न होने का नोटिस चस्पा कर दिया गया।. चर्चाएं हैं कि संचालक ने रुपयों को आगे इन्वेस्ट कर दिया. एक पार्षद और एक ठेकेदार की भूमिका भी इसमें बताई जा रही है.
संस्था का गुलशन-ए-हिंद निधि के नाम से वर्ष 2018 में ही पंजीकरण कराया गया था. जिसमें सात सदस्य हैं. इनके नाम जुल्फिकार अली, जफरूदीन, मो. उस्मान, रईस हैदर, ताज मोहम्मद, अंजार और इमरान है. पूर्व में लोगों का करोड़ों रुपए डकार चुके कबीर म्यूचुअल बेनिफिट निधि के साथ ही अब लापता गुलशन-ए-हिंद निधि के संचालक एक संस्था में काम किया करते थे, लेकिन पैसे के लेनदेन को लेकर 2018 में दोनों के बीच विवाद हो गया. जिसके बाद कबीर म्युचुअल बेनिफिट निधि का रजिस्ट्रेशन कराया गया. तब से दोनों संस्थाएं अलग-अलग मुस्लिम फंड संचालक कर रही थी.