हरिद्वारःभारत की धरती पर कुंभ चार स्थानों पर जब-जब लगता है. आकर्षण का केंद्र वहां पहुंचने वाले अखाड़े, साधु संत और नागा संन्यासी होते हैं. लेकिन इन्हीं के साथ साथ देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु भी आकर्षण का केंद्र होते हैं जो अनगिनत संख्या में कुंभ के लिए पहुंचते हैं. कुंभ के दौरान दुनिया के कोने-कोने से विदेशी श्रद्धालु पहुंचते हैं. लेकिन शायद इस बार हरिद्वार में 12 साल बाद लगने वाले महाकुंभ के लिए सात समंदर पार से विदेशी भक्त न पहुंचे.
दरअसल, कोरोना को लेकर सूबे की त्रिवेंद्र सरकार भी असमंजस में है कि अगर हालात यूं ही बने रहे तो कुंभ मेला किस तरह से करवाया जाएगा. लिहाजा, अब इस टेंशन से दो-चार वे संत भी हो रहे हैं जिनके लाखों-करोड़ों फॉलोअर्स विदेशों में रहते हैं. ऐसे हजारों विदेशी लोग हरिद्वार में रहने वाले साधु-संतों से संपर्क कर रहे हैं कि आखिरकार वह कुंभ का हिस्सा कैसे बन सकते हैं? ऐसे में संत उन्हें यही जवाब दे रहे हैं कि अभी तो उन्हें भी नहीं मालूम कि हरिद्वार में लगने वाले कुंभ मेले की रूपरेखा क्या होगी?
विदेशी भक्तों के लिए परेशान संत
इलाहाबाद, उज्जैन, नासिक और हरिद्वार के कुंभ मेले में सबसे अधिक अगर विदेशी श्रद्धालु किसी संत के डेरे में आते हैं तो उनमें से प्रमुख नाम हैं आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज, ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि महाराज, श्री श्री रवि शंकर जी महाराज और हरिद्वार स्थित कनखल पायलट आश्रम के प्रमुख पायलट बाबा सोहम बाबा. इसके साथ ही अनेकों ऐसे संत हैं. जिनकी पेशवाई और अखाड़ों में विदेशी श्रद्धालुओं की संख्या हजारों में होती है. ऐसे में अब इन संतों से विदेशी भक्त लगातार संपर्क कर रहे हैं और यह आग्रह कर रहे हैं कि आखिरकार वह कैसे कुंभ का हिस्सा बन सकते हैं?
ये कहते हैं संत
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए ऋषिकेश परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि कहते हैं कि जब-जब कुंभ लगता है, तब तक महीनों पहले से उनके यहां विदेशी भक्तों के रजिस्ट्रेशन शुरू हो जाते हैं. अमेरिका, न्यूयॉर्क, इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, ईरान और इजरायल जैसे देशों से हर बार हजारों की संख्या में भक्त कुंभ दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इसीलिए इस बार भी हरिद्वार के कुंभ मेले से महीनों पहले से उनके पास फोन, ई-मेल और मैसेज आने शुरू हो गए हैं.
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लेकिन अभी फिलहाल किसी भी विदेशी भक्त को कोई भी जवाब नहीं दिया जा रहा है. क्योंकि कोरोना संक्रमण के चलते सरकार तय करेगी कि आखिरकार कुंभ मेले की रूपरेखा क्या होगी? लेकिन इतना तय है कि सात समंदर पार बैठे लोग कुंभ मेले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. वे यहां की संस्कृति, यहां की सभ्यता, गंगा मैय्या के दर्शन और भगवान की लीलाओं के बारे में जानने के इच्छुक रहते हैं. लिहाजा हम सरकार के फैसले के बाद ही कोई निर्णय ले पाएंगे. इतना ही नहीं जब तक इंटरनेशनल फ्लाइट शुरू नहीं होती, तब तक भी ये कहना जल्दबाजी होगा कि इस बार कुंभ मेले में विदेशी श्रद्धालु आ पाएंगे या नहीं?
उधर कुंभ में अपने भव्य आश्रम सजावट और विदेशी मेहमानों को लेकर चर्चाओं में रहने वाले पायलट बाबा भी सरकार के फैसले का इंतजार कर रहे हैं. उनके हजारों भक्तों जो जापान और यूरोप के अलग-अलग देशों में रहते हैं, उनसे लगातार संपर्क कर रहे हैं कि आखिरकार कैसे वे हरिद्वार के महाकुंभ का हिस्सा बन सकते हैं?
जानिए, सरकार का पक्ष
फिलहाल सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक का कहना है कि पहला स्नान और उस वक्त के हालात तय करेंगे कि आखिरकार कुंभ का स्वरूप क्या होगा? हमने अपनी तरफ से पूरी तैयारियां कर ली गई है. इतना तय है कि अगर कुंभ मेला सरकार की तैयारियों के अनुरूप हुआ तो बेहद भव्य और आकर्षण का केंद्र बनेगा. हम भी चाहते हैं कि हरिद्वार मेला न केवल भारत, बल्कि सात समंदर पार से आने वाले लाखों भक्त भी देखें.