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Unlock 1.0 में दाने-दाने को मोहताज 'भिक्षुक', ईटीवी भारत को सुनाई 'दास्तां' - हरिद्वार लॉकडाउन स्पेशल

लॉकडाउन खत्म होने के बाद अनलॉक वन में हरिद्वार में मांग कर खाने वालों की हालत दयनीय हो गई है. इनको दो वक्त तक का भोजन नसीब नहीं हो रहा है, क्योंकि लॉकडाउन के वक्त सरकार और सामाजिक संस्थाओं ने इनको भोजन कराया. लेकिन अब कोई भी इनकी सुध लेने को तैयार नहीं है.

Haridwar Ground Report
हरिद्वार ग्राउंड रिपोर्ट

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Published : Jun 11, 2020, 10:15 PM IST

Updated : Jun 11, 2020, 11:10 PM IST

हरिद्वार: क्या लॉकडाउन खत्म होने के बाद सब कुछ ठीक हो गया है? क्या कामगारों को काम मिल गया है ? जिसके पास खाने को पैसे नहीं थे, क्या उनके घरों में राशन पहुंच गया है? इन्हीं सवालों को लेकर ईटीवी भारत ने धर्मनगरी हरिद्वार शहर का हाल जाना कि आखिर बाहर से आने वाले यात्रियों पर निर्भर रहने वाले यहां के भिक्षुक किस हालत में हैं. उनको खाना मिल रहा है या नहीं ? यहां के छोटे व्यापारियों का क्या हाल है ? देखिए ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

Unlock 1.0 में दाने-दाने को मोहताज 'भिक्षुक'

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया कि अब सरकारी राशन न तो सड़कों पर बैठे भिक्षुओं को मिल रहा है और न ही मलिन बस्तियों में पहुंच रहा है. वहीं, छोटे व्यापारी भी काम न होने की वजह से परेशान हैं. आलम ये है कि सरकार और प्रशासन ने जो राशन चंद दिनों तक बांटा, अब वह बंद हो गया है. जिसके बाद सड़कों पर बैठे भिक्षुक भूखे पेट दिन बिताने को मजूबर हैं.

दो वक्त के खाने के लिए तरस रहे 'भिखारी'

हरिद्वार में कई ऐसे भिक्षुक हैं, जिनको भोजन न मिलने की वजह से काफी परेशानी हो रही है. इन लोगों का कहना है कि अब कोई उन्हें कोई भोजन देने नहीं आता है. इधर-उधर घूमकर उनको जहां भोजन मिल जाता है, वे वहां खा लेते हैं. इनका कहना है कि पहले समय से भोजन मिल जाता था, मगर अब भोजन न मिलने से काफी परेशानी हो रही है.

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भूखे को भोजन कराना शासन-प्रशासन की जिम्मेदारी

स्थानीय निवासियों का कहना है कि 10 से 15 दिन हो गए हैं, अब कोई भी इनको भोजन कराने नहीं आ रहा है. स्थानीय लोग और कुछ यात्री जो हरिद्वार में आ रहे हैं, वह इनको भोजन करा देते हैं. लॉकडाउन के वक्त प्रशासन द्वारा सामाजिक संस्थाओं पर कार्य छोड़ दिया गया था कि वह इन लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था करेंगे, मगर संस्थाएं कब तक इस काम को करती. यह जिम्मेदारी प्रशासन की है कि भूखे लोगों को भोजन की व्यवस्था कराए.

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इस गंभीर मसले पर जब ईटीवी भारत ने हरिद्वार में नोडल अधिकारी बनाए गए नरेंद्र यादव से जानकारी ली तो नरेंद्र यादव ने खुलकर इस पर बातचीत की. नरेंद्र यादव ने बताया कि फिलहाल सरकारी धन से इनको कोई भी राशन नहीं दिया गया है. 110 से ज्यादा संस्थाओं द्वारा हरिद्वार में राशन वितरित किया जा रहा था जो अब लगभग पूरी तरह से बंद हो गया है. हां इतना जरूर है कि अभी फिलहाल 24 खाने के पैकेट हम लोग चंडीघाट और एक दूसरी जगह पर बांट रहे हैं. उन्होंने कहा अब सब कुछ खुल चुका है लिहाजा अब किसी को राशन वितरित नहीं किया जा रहा है. नरेंद्र यादव की यह बात सुनकर साफ जाहिर होता है कि सरकार ने सब कुछ खोल तो दिया लेकिन उन लोगों का क्या जो यात्रियों और पर्यटन के भरोसे हरिद्वार में रोजी रोटी के लिए बैठे हुए हैं.

ग्राउंड रिपोर्ट में चौंकाने वाली हकीकत

ईटीवी भारत की टीम ने जमीनी स्तर पर जो हकीकत देखी, वह वाकई चौंकाने वाली है. क्योंकि शासन और प्रशासन द्वारा लाख दावे किए जा रहे हैं कि इन लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की जा रही है. मगर ईटीवी भारत को धरातल पर प्रशासन और शासन की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं दिखी. आज ये लोग भोजन न मिलने की वजह से काफी परेशान हैं. क्योंकि हरिद्वार में कई संस्थाओं ने लॉकडाउन में इनके लिए भोजन की व्यवस्था कराई थी, लेकिन अब तमाम संस्थाओं द्वारा भोजन वितरण के कार्य को बंद कर दिया गया है. जिसकी वजह से इन लोगों को भोजन के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.

Last Updated : Jun 11, 2020, 11:10 PM IST

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