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राष्ट्रीय जल सम्मेलन में नमामि गंगे पर हुआ मंथन, विशेषज्ञों ने कई मुद्दों पर की बात

आईआईटी रुड़की में तीन दिवसीय सम्मेलन का आज समापन हो गया. इस सम्मेलन में 13 देशों के विशेषज्ञों ने भाग लिया. यह सम्मेलन मुख्य रूप से नमामि गंगे परियोजना पर केंद्रित था.

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राष्ट्रीय जलसम्मेलन 2020

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Published : Feb 29, 2020, 9:32 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 11:59 PM IST

रुड़की: तीन दिवसीय राष्ट्रीय जल सम्मेलन 2020 का आज समापन हो गया. इसका आयोजन आईआईटी रुड़की में किया गया था. समापन कार्यक्रम में जलशक्ति मंत्रालय के सचिव उपेंद्र प्रसाद सिंह मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे. कार्यक्रम में अमेरिका, स्पेन, जर्मनी, जापान, नीदरलैंड और यूके सहित 13 देशों से आए विशेषज्ञों ने भाग लिया और अपने विचार साझा किए.

यह सत्र दुनिया की सबसे बड़ी नदी सफाई परियोजना नमामि गंगे पर केंद्रित था. यह सत्र विशेष रूप से नमामि गंगे को ही समर्पित रहा. बता दें कि आईआईटी रुड़की में आयोजित इस आरडब्ल्यूसी में बतौर विशेष अतिथि स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन पहुंचे थे.

राष्ट्रीय जल सम्मेलन

परियोजना के बारे में राजीव रंजन ने कहा कि निर्मल धारा अविरल धारा या नमामि गंगे हो, वेटलैंड सभी परियोजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वेटलैंड संरक्षण के लिए बेसिन स्तर तक प्रक्रियाओं को बढ़ाने से गंगा और उसकी सहायक नदियों के कायाकल्प पर एक बड़ा प्रभाव पड़ेगा. अन्य मुद्दों के साथ ही यह सत्र जल संकट से संबंधित दो प्रमुख मुद्दों बाढ़ और सूखे पर केंद्रित था.

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कैलिफ़ोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी यूएसए के प्रोफेसर जॉन कीनताश ने मौसम विज्ञान और सूखे पर बात की. इन 3 दिनों में जल विज्ञान से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर कुल 138 तकनीकी पत्र प्रस्तुत किए गए और विभिन्न वक्ताओं ने 33 मुख्य विषयों पर अपने ज्ञान और अनुभव साझा किया.

Last Updated : Feb 29, 2020, 11:59 PM IST

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