हरिद्वारः इन दिनों पूरे देश में नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है. देशभर में माता के मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. इसी क्रम में राजाजी नेशनल के जंगल में स्थित मां विंध्यवासिनी देवी के मंदिर में रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. ये मंदिर सिद्धि साधना के लिए भी जाना जाता है. कंस के वध की भविष्यवाणी के बाद यशोदा की बेटी इसी स्थान पर गिरी थीं. यहां पर गुड़ की भेली चढ़ाने मां विंध्यवासिनी के दर्शन मात्र करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. साथ ही माता सभी की मनोकामनाएं भी पूरी करती हैं.
नवरात्रि के मौके पर यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. इस मंदिर तक हरिद्वार और ऋषिकेश दोनों जगहों से पहुंचा जा सकता है. मंदिर तक पहुंचने के लिए हरिद्वार के चीला होते हुए ऋषिकेश के रास्ते में गंगा नदी पर बने पुल को पार कर जंगल के रास्ते जाना पड़ता है. रास्ते में कई बरसाती नाले भी पड़ते हैं, जहां से करीब एक किलोमीटर का रास्ता पैदल और बाइक से जा सकते हैं.
विशेषकर रामनवमी में श्रद्धालु यहां पर मनोकामना सिद्धि के लिए पहुंचते हैं. माना जाता है कि जब भगवान राम वनवास से वापस अयोध्या लौट रहे थे, तो रास्ते में वह भी यहां पर मां के दर्शन करने के लिए रुके थे. यहां मंदिर में गुड़ की भेली चढ़ाने की परंपरा है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मां विंध्यवासिनी को सती का ही रूप माना जाता है. इसलिए उन्हें वन दुर्गा भी कहा जाता है. साथ ही मां विंध्यवासिनी को योग माया भी कहा जाता है.